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जुलाई से लखनऊ, बनारस, गोरखपुर समेत पांच शहरों की बिजली आपूर्ति निजी हाथों में

सरकार, तमाम विरोध के बावजूद राजधानी लखनऊ सहित वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ व मुरादाबाद शहर की बिजली आपूर्ति को फिलहाल जुलाई से निजी हाथों में देने जा रही है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 12:18 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 01:34 PM (IST)
जुलाई से लखनऊ, बनारस, गोरखपुर समेत पांच शहरों की बिजली आपूर्ति निजी हाथों में
जुलाई से लखनऊ, बनारस, गोरखपुर समेत पांच शहरों की बिजली आपूर्ति निजी हाथों में

लखनऊ [अजय जायसवाल]। सूबे के शहरों में विश्व स्तरीय बिजली आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को अब निजी हाथों का ही सहारा है। सरकार का साफ तौर पर मानना है कि न उसकी और न ही पावर कारपोरेशन की ऐसी स्थिति है, जिससे शहरों में विदेश की तरह गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति के साथ ही उपभोक्ताओं को विश्व स्तरीय गुणवत्तापरक सेवाएं मिल सकें। ऐसे में सरकार, तमाम विरोध के बावजूद राजधानी लखनऊ सहित वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ व मुरादाबाद शहर की बिजली आपूर्ति को फिलहाल जुलाई से निजी हाथों में देने जा रही है। सब कुछ ठीक रहा तो अन्य प्रमुख शहरों की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को भी निजी क्षेत्र में देने के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया है।

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दरअसल, कागजों पर भले ही शहरों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा किया जा रहा है लेकिन, ज्यादातर शहरवासियों को न केवल प्रतिदिन बिजली की आवाजाही से जूझना पड़ रहा है बल्कि लो-वोल्टेज की समस्या भी कई जगह बनी रहती है। नया कनेक्शन लेने से लेकर मीटरिंग, बिलिंग व अन्य उपभोक्ता सेवाओं की स्थिति भी बेहतर नहीं है। सरकार का मानना है कि विद्युत वितरण नेटवर्क को दुरुस्त कर विश्व स्तरीय बनाने के लिए वर्तमान में जितनी धनराशि चाहिए उतना न वह देने की स्थिति में है और न ही घाटे में चल रहा पावर कारपोरेशन खर्च कर सकता है। मसलन, राजधानी लखनऊ की ही बिजली आपूर्ति व्यवस्था को विश्वस्तरीय बनाने के लिए 950 करोड़ रुपये चाहिए। इसको देखते हुए सरकार ने अब लखनऊ सहित पांच शहरों की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को निजी हाथों में देने का फैसला किया है। निजी क्षेत्र द्वारा चयनित शहरों की बिजली व्यवस्था सुधारने पर पांच वर्षों के दौरान तकरीबन चार हजार करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा।

फ्रेंचाइजी का चयन तीन माह में : प्रमुख सचिव ऊर्जा और पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब संबंधित पांचों शहरों में कैपेक्स बेस्ड डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी का चयन करने के लिए जल्द ही बिडिंग प्रक्रिया शुरू होगी। कुमार के मुताबिक तीन माह में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। ऐसे में उन्होंने उम्मीद जताई कि जुलाई से पांचों शहरों की बिजली आपूर्ति व्यवस्था चयनित फ्रेंचाइजी के हाथों में होगी।

सुरक्षित रहेंगे बिजलीकर्मियों के हित : भले ही बिजलीकर्मियों से लेकर उपभोक्ता संगठन तक निजीकरण का विरोध कर रहे हैं लेकिन, प्रमुख सचिव ऊर्जा का कहना है कि सरकार, विद्युत वितरण निगमों के अफसरों व कर्मचारियों के हितों की पूर्ण सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने बताया कि सभी को फ्रेंचाइजी की सहमति से प्रतिनियुक्ति पर कार्य करते रहने का विकल्प मिलेगा। ऐसा करने वाले बिजलीकर्मियों के वेतन-भत्ते में किसी भी दशा में कमी नहीं की जा सकेगी। फ्रेंचाइजी के साथ काम न करने वाले स्टाफ को मौजूदा सेवा शर्तों पर ही सूबे के दूसरे विद्युत खंडों में तैनात किया जाएगा।

आगरा फ्रेंचाइजी की सफलता को बनाया आधार : राज्य सरकार ने पांच शहरों को निजी हाथों में देने के निर्णय का आधार आगरा शहर को बनाया है जहां कि बिजली आपूर्ति में वर्ष 2010 से फ्रेंचाइजी व्यवस्था लागू है। दिल्ली स्थित दि इनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) द्वारा किए गए अध्ययन के हवाले से पावर कारपोरेशन प्रबंधन का कहना है कि बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए फ्रेंचाइजी मेसर्स टौरेंट पावर ने पहले पांच वर्षों में 827 करोड़ आगरा शहर में खर्च किया है। बिजली चोरी रुकने से वहां कि एटीएंडसी हानियां 58 से घटकर 27 रह गई है। उपभोक्ता शिकायतों में बेहद कमी आई है।

शिकायतों का निस्तारण तेज हुआ है, जिससे उपभोक्ता कहीं अधिक संतुष्ट हैं। उल्लेखनीय है कि बिजली चोरी के चलते लखनऊ में 31, मेरठ में 34, वाराणसी में 28, गोरखपुर में 30 व मुरादाबाद में 32 फीसद लाइन हानि है, जबकि यह 15 फीसद से कम होनी चाहिए। दिल्ली में आठ, सूरत में पांच और मुंबई-अहमदाबाद जैसे शहर में मात्र 10 फीसद लाइन हानि है।

20 वर्षों का फ्रेंचाइजी से होगा अनुबंध : टौरेंट से हुए अनुबंध पर उठते सवालों के मद्देनजर योगी सरकार ने उसकी खामियों को दूर करते हुए केंद्र के फ्रेंचाइजी मॉडल के तहत पांच शहरों के लिए फ्रेंचाइजी के अनुंबध का प्रारूप तय किया है। फ्रेंचाइजी का चयन बिडिंग द्वारा इनपुट पावर का अधिकतम मूल्य देने वाले ग्र्रुप के साथ 20 वर्षों के लिए किया जाएगा। फ्रेंचाइजी को पहले वर्ष ही दो फीसद एटीसी हानियां कम करते हुए आगे अब्राहम समिति की सिफारिश के मुताबिक घटानी होगी। गौर करने की बात यह है कि फ्रेंचाइजी को आधार वर्ष के बिल्ड राजस्व का न्यूनतम 50 फीसद पहले पांच वर्षों में ही खर्च करना होगा। टैरिफ में इजाफा होने पर 25 फीसद ही फ्रेंचाइजी को मिलेगा। अनुबंध खत्म होने पर फ्रेंचाइजी स्पेयर्स आदि को अपने साथ ले जा सकेगा।

सरकार का गांव पर बढ़ेगा फोकस : एक तरफ सरकार जहां शहरों की बिजली आपूर्ति व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने जा रही है वहीं गांवों की बिजली व्यवस्था सुधारने पर उसका खुद का फोकस होगा। प्रमुख सचिव ने बताया कि शासकीय बजट की प्राथमिकता गांवों में बिजली आपूर्ति का दायरा बढ़ाने के साथ ही शेष रह गए घरों को बिजली कनेक्शन देने पर है ताकि सबको बिजली मुहैया हो सके।  


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