उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षण कार्यशालाओं के बहाने भाजपा के कार्यकर्ताओं को चुनावी प्रशिक्षण
उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनावों पर विशेष फोकस करते हुए जनप्रतिनिधियों से बेहतर समन्वय बनाने की सलाह दी है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन की स्थिति से उबरते ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने संगठनात्मक गतिविधियां तेज कर दी हैं। सभी विधानसभा क्षेत्रों में सेक्टर प्रभारी व संयोजकों की प्रशिक्षण कार्यशालाओं में चुनावी जीत के मंत्र दिए गए हैं। 'बूथ जीता तो चुनाव जीता' फार्मूला अपनाने के साथ बूथ कमेटियों को मजबूत व सर्वस्पर्शी बनाने के लिए कहा गया है। उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनावों पर विशेष फोकस करते हुए जनप्रतिनिधियों से बेहतर समन्वय बनाने की सलाह भी दी है।
प्रशिक्षण कार्यशालाओं की कमान खुद प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने संभाली है। विधानसभा उपचुनाव वाले आठ क्षेत्रों घाटमपुर, मल्हनी, स्वार, बुलंशहर, टूंडला, देवरिया, बांगरमऊ व नौगावां सादात में हुईं प्रशिक्षण कार्यशालाओं में प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री संगठन कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए। मतदाता सूचियों को दुरस्त कराने के साथ संभावित उम्मीदवारों के नामों पर भाजपाइयों का मन टटोला। जौनपुर में मल्हनी सीट पर अन्य किसी दल से गठबंधन नहीं करने पर कार्यकर्ताओं ने जोर दिया। जिन आठ सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैं, उनमें से दो, स्वार व मल्हनी सपा के कब्जे में थीं।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर नजर : ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूती बढ़ने के लिए भाजपा आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पूरी ताकत लगा रही है। पंचायत चुनाव की तैयारी में प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों के अलावा कई अनुभवी पदाधिकारियों को भी लगाया है। जिताऊ उम्मीदवार तलाशने के लिए जिला अध्यक्षों व प्रभारियों को कहा जा चुका है। चुनाव में लगाए गए कार्यकर्ताओं से स्वयं या अपने किसी परिजन को चुनाव नहीं लड़ाने को भी कहा गया है।
गन्ना समितियों की तैयारी : सहकारी ग्राम विकास बैंक के जिला स्तरीय चुनाव में एकतरफा जीत के बाद भाजपा अब गन्ना विकास समितियों पर काबिज होने की कोशिश में जुटी है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कहते हैं कि सरकार की नीतियों व संगठन की मजबूती से ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा की ताकत बढ़ी है। यही वजह है कि गांवों की राजनीति में कुछ दलों या परिवारों का एकाधिकार समाप्त हो रहा है।