आधा किलो मछली को लेकर हुआ विवाद, हिस्से के बंटवारे को लेकर बड़े भाई ने छोटे भाई की कर दी हत्या Barabanki News
बाराबंकी में मछली पकड़ने के विवाद में छोटे भाई की पीटकर मार डाला। मामूली कहासुनी पर धारदार हथियार से कर दिया हमला।
बाराबंकी, जेएनएन। जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। सोमवार की देर रात मछली पकड़ने के विवाद को लेकर दो भाइयों में विवाद हो गया जिसमें बड़े भाई ने छोटे भाई पर लाठी और धारदार हथियार से हमला कर दिया। गंभीर रूप से घायल छोटे भाई की जिला अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई।
थाना मोहम्मदपुर खाला क्षेत्र के ग्राम चिरैया पुरवा में सड़क किनारे गड्ढे में भरे पानी में दुर्गा प्रसाद के पुत्र राजकुमार ने मछली डाली थी, जिसे दुर्गा प्रसाद का भतीजा मुन्नन पकड़ने लगा। इसका राजकुमार ने विरोध किया, इसी बात को लेकर दोनों काफी कहा सुनी हुई। लोगों ने मामला शांत करा दिया। देर रात दुर्गा प्रसाद व उनके बड़े भाई रामआसरे के बीच दोबारा इसी बात को लेकर विवाद हो गया और मारपीट होने लगी। इसमें रामआसरे गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें उपचार के लिए सीएचसी फतेहपुर ले जाया गया। यहां से जिला अस्पताल रेपुर किया गया जहां उपचार के दौरान रामआसरे (50) की मौत हो गई। मृतक की पुत्री खुश्बू ने बताया कि हमारे पिता को बड़े पापा दुर्गा प्रसाद ने धारदार हथियार व डंडों से मारा है, जिससे उनकी मौत हो गई है। मारपीट में खुश्बू को भी चोटें आई हैं।
आधा किलो मछली को लेकर हुआ विवाद
थानाध्यक्ष मनोज शर्मा ने बताया कि दोनों भाइयों के बीच आधा किलो मछली को लेकर विवाद हुआ था। इसमें मारपीट में रामआसरे घायल हो गया था।जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई है। मृतक के पुत्र मुन्नन की तहरीर पर दुर्गा प्रसाद व उनके पुत्र राजकुमार, बिशनू व रामविलाश के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का मुकदमा पंजीकृत किया गया है।
कौन बनेगा पांच पुत्रियों का सहारा : क्षेत्र के ग्राम चिरैया पुरवा में थोड़ी सी मछली को लेकर हुए विवाद में रामआसरे की मौत हो गई थी। मृतक के दो पुत्र व पांच बेटियां है। बड़ी बेटी पूजा (20), खूशबू (18), सोनम (13), अंजली (10), सगुनी (8) बेटियां हैं। बड़ा बेटा मुन्नन (25) बाहर प्राइवेट नौकरी करता है। छोटा बेटा अंकू है। पूरा परिवार रामआसरे की मजदूरी पर ही आश्रित था। रामआसरे की मौत के बाद घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल था। सबको लड़कियों के विवाह के साथ ही लड़कों के विवाह की चिंता थी। रामआसरे की एक बीघे जमीन व मजदूरी ही पूरे परिवार का सहारा थी।