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ED ने नोएडा के दागी चीफ इंजीनियर यादव सिंह की 89 लाख की संपत्ति की अटैच

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नोएडा के दागी चीफ इंजीनियर यादव सिंह की 89 लाख की और संपत्ति अटैच की है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 10:38 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2019 08:20 AM (IST)
ED ने नोएडा के दागी चीफ इंजीनियर यादव सिंह की 89 लाख की संपत्ति की अटैच
ED ने नोएडा के दागी चीफ इंजीनियर यादव सिंह की 89 लाख की संपत्ति की अटैच

लखनऊ, जेएनएन। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नोएडा के दागी पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की 89 लाख की और संपत्ति अटैच की है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की गई है। जब्त की गई संपत्तियों में एक आवासीय, एक व्यावसायिक व एक कृषि भूमि है। इसके अलावा बैंक में जमा धन को भी जब्त किया गया है।  ईडी ने इससे पूर्व यादव सिंह की 21.5 करोड़ की संपत्ति अटैच की थी। 

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करोड़ों की काली कमाई करने वाले नोएडा के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह के खिलाफ सीबीआइ ने जुलाई 2015 में केस दर्ज किया था और उसके ठिकानों पर छापेमारी की थी। बाद में सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर ही ईडी ने यादव सिंह के खिलाफ मनीलांड्रिंग का केस दर्ज किया था। जांच में सामने आया था कि यादव सिंह ने काली कमाई की रकम अपनी ट्रस्ट में खपा दी थी। बाद में रकम को ट्रस्ट से अपने रिश्तेदारों के नाम ट्रांसफर कर उससे संपत्तियां खरीदी गई थीं। इसके अलावा कई मुखौटा कंपनियों में भी काली कमाई का निवेश किया गया था।

पीएमएलए के तहत ईडी ने यह कार्रवाई सीबीआइ की ओर से 30 जुलाई 2015 को यादव सिंह और उसके सहयोगियों के विरुद्ध दर्ज की गई एफआइआर को आधार बनाकर शुरू की थी। सीबीआइ ने यादव सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी कोर्ट में आरोप पत्र भी दाखिल किया था। इसमें एक अप्रैल 2004 से 4 अगस्त 2015 के बीच उनकी संपत्ति घोषित आय से 512.66 प्रतिशत अधिक पाई गई थी। इस तरह 4.51 करोड़ रुपये आय के विपरीत उनके पास 23.15 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति पाई गई थी। 

इस तरह ईडी अब तक यादव सिंह व उनके सहयोगियों की 20.5 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां जब्त कर चुका है। ईडी के अनुसार उनकी यह अवैध कमाई ट्रस्ट में लिए गए डोनेशन से भी थी, जो यादव सिंह के नियंत्रण में थे। इसी तरह उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर भी धन एकत्र किया गया था। इस तरह की अवैध कमाई से दिल्ली व नोएडा में आवासीय व व्यावसायिक संपत्तियां बनाई गईं। साथ ही बैंक बैलेंस भी बढ़ा।


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