भीमराव अम्बेडकर की आर्थिक स्थिति सुधरी लेकिन करोड़पति नहीं
राज्यसभा के लिए बसपा द्वारा घोषित उम्मीदवार भीमराव अम्बेडकर एक दशक में आर्थिक हालत सुधरी जरूर लेकिन वह करोड़पति नहीं बन सके।
लखनऊ (जेएनएन)। राज्यसभा के लिए बसपा द्वारा घोषित उम्मीदवार भीमराव अम्बेडकर एक दशक पहले राजदूत मोटरसाइकिल से चलते थे, लेकिन अब उनके पास महिंद्रा की जीप और पत्नी के पास स्कार्पियो गाड़ी है। भीमराव 2007 में एक बार विधायक बने और 2017 के विधानसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा। विधायक पेंशन पाने वाले भीमराव की आर्थिक हालत सुधरी जरूर, लेकिन वह करोड़पति नहीं बन सके। विधि स्नातक और अर्थशास्त्र में परास्नातक भीमराव के लिए खास बात यह है कि न तो उन पर कोई देनदारी है और न ही कोई मुकदमा।
जानें चल-अचल संपत्ति
2007 के विधानसभा चुनाव में जब भीमराव ने शपथ पत्र दिया तब उनके पास पत्नी समेत एक एकड़ जमीन, 25 ग्राम सोना और 100 ग्राम चांदी के अलावा 50 हजार रुपये थे, लेकिन अब इसमें इजाफा हुआ है। अब उनकी पत्नी के पास सौ ग्राम सोना और 250 ग्राम चांदी है। भीम के पास 185793 और पत्नी के पास 847373 रुपये की चल संपत्ति है। उनके पास 1.840 एकड़ जमीन है और पत्नी कमलेश के पास 3850 व 709 वर्ग फीट है। इनकी 1005750 रुपये तथा पत्नी कमलेश के पास 20 लाख रुपये की अचल संपत्ति है। इटावा जिले के बजरिया निवासी भीमराव सियासी दांव-पेंच में सबसे भाग्यशाली साबित हुए हैं। तब जबकि बसपा के पास राज्यसभा में भेजने भर को पर्याप्त विधायक नहीं हैं, लेकिन सपा से समझौते की वजह से उन्हें एक बड़ा मौका मिल गया है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें मौका दिया और अब नामांकन के बाद उन्होंने मायावती के प्रति आभार भी जता दिया है। भीम राव कानपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र विषय से परास्नातक तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि स्नातक हैं।
...लेकिन तीन वर्ष कम उम्र
भीमराव अंबेडकर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में औरैया से बसपा के उम्मीदवार थे। तब 28 जनवरी, 2017 को उन्होंने शपथ पत्र में उम्र 52 वर्ष दिखाई है, लेकिन राज्यसभा चुनाव के लिए शपथ पत्र दाखिल करते हुए भीमराव ने अपनी उम्र 50 वर्ष दिखाई है। एक वर्ष बाद हो रहे इस चुनाव में भीमराव की उम्र उस हिसाब से 53 वर्ष होनी चाहिए, लेकिन 50 वर्ष दिखाई है। इस हिसाब से उनकी उम्र तीन वर्ष घट गई है। इस अजूबे पर लोग हैरान हैं। खास बात यह भी है कि भीमराव ने 2007 में बताया कि उन्होंने 1990 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि स्नातक किया, लेकिन इस बार के शपथ पत्र में विधि स्नातक का समय 1992 दिखाया है। इस बारे में उनका पक्ष जानने की कोशिश हुई, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।