वर्ल्ड डायबिटीज डे : दवाओं के साथ खान-पान का भी अहम रोल, 800 कैलोरी से कम करें भोजन
वर्ल्ड डायबिटीज डे पर केजीएमयू में आयोजित हुई वर्कशॉप। एंबुलेटरी ग्लूकोज प्रोफाइल जांच से इलाज हुआ आसान।
लखनऊ, जेएनएन। डायबिटीज अब लाइलाज बीमारी नहीं रह गई है। जीवनशैली में सुधार व डॉक्टर की सलाह से इस पर काबू पाया जा सकता है। यह जानकारी फिजियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. नरसिंह वर्मा ने दी। वह बुधवार को केजीएमयू के कलाम सेंटर में वल्र्ड डायबिटीज डे के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि टाइप टू डायबिटीज में दवाओं के साथ जीवनशैली व खान-पान का भी अहम रोल होता है। डायटीशियन की सलाह पर अपने वजन और लंबाई के हिसाब से खाने का चार्ट बनवाएं। जो लोग प्रतिदिन 800 कैलोरी से कम भोजन करते हैं उनकी बीमारी ठीक भी हो सकती है। क्योंकि जब कम कैलोरी का भोजन करेंगे तो पैंक्रियाज को कम काम करना पड़ता है। शरीर को इंसुलिन की जरूरत भी कम पड़ेगी। नतीजतन धीरे-धीरे यह रोग काबू में आ जाएगा।
वहीं एंबुलेटरी ग्लूकोज प्रोफाइल जांच कराई जा रही है। इसमें मरीज की बांह पर खास तरह की मशीन लगा दी जाती है। जो कि 15 दिन तक बंधी रहती है। इस दौरान शरीर में शुगर और ब्लड प्रेशर के स्तर का लेखा-जोखा आसानी से मिलेगा। कारणों का पता लगाना भी आसान हो जाता है। खान-पान और दवाओं से बीमारी पर नियंत्रण पा सकते हैं।
कार्यक्रम में रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया के डॉ. अनुज महेश्वरी ने कहा कि फास्ट फूड सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। इसके खाने से सेहत के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचता है। खराब बैक्टीरिया की तादाद बढऩे से सेहत को नुकसान होता है। ऐसे में हरी सब्जियां, मौसमी फल और एक साथ भोजन करने की बजाए टुकड़े में भोजन करें तो अच्छा रहेगा।