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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भूकंप के झटके, लोग घरों से बाहर निकले

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भूकंप के झेटके महसूस किए गए। हालांकि भूकंप का केंद्र उत्तराखंड में दर्ज किया गया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में इसका प्रभाव अधिक रहा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 09:15 PM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 11:30 PM (IST)
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भूकंप के झटके, लोग घरों से बाहर निकले
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भूकंप के झटके, लोग घरों से बाहर निकले

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि भूकंप का केंद्र उत्तराखंड में दर्ज किया गया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में इसका प्रभाव अधिक देखा गया। यहां लोग घरों से बाहर निकल आए। अलग-अलग इसे करीब तीस सेकेंड तक महसूस किया गया। रिक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई है। भूकंप का केंद्र उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 121 किमी दूर और गहराई करीब तीस किमी बताई गई है।

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वेस्ट यूपी में दहशत

भूकंप के झटके उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बरेली, मुरादाबाद में भी महसूस किए गए हैं। मुज़फ्फरनगर के छपार व क्षेत्र के गांव बरला में भूकंप का एक झटका महसूस किया गया। रोहाना में लगभग 24 सैकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किया गया। मुरादाबाद में अभी अभी भूकंप के हल्के झटके महसूस हुए हैं। बरेली में भी मामूली झटके महसूस किए गए। मेरठ के कुछ इलाकों में भी लोगों ने भूकंप महसूस किया। धरती में उठता कंपन मससूस कर लोग घरों से बाहर निकल आए। ग्रामीण इलाकों में तरह-तरह की  चर्चा और अफरातफरी देर रात तक बनी रही। फिर झटके लगने की चर्चा से लोगों में दहशत है।

ऐसे आता है भूकंप

भूकंप कई भूगर्भीय कारणों से आते हैं लेकिन उन सभी में टैकटोनिक प्लेटों का खिसकना और एक दूसरे से टकराना ही भूकंप का कारण बनता है। दरअसल, यह पृथ्वी चार परतों इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट से बनी है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। यह 50 किमी की मोटी परत है। यह टैकटोनिक प्लेट्स में बंटी है। टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं। यह प्लेटें क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वह अपनी जगह तलाशती हैं और एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है। ऐसी हालत में प्लेटों के एक दूसरे से टकराने पर कंपन पैदा होते है। यह कंपन ज्यादा बढ़ने पर भूकंप आता है।


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