चंद्रकांता की रहस्यमयी नगरी में सूखा पेड़ बुझा रहा प्यास
चंद्रकांता की नगरी से इतिहास के पन्नों में स्थान बनाने वाले चंदौली के चकिया तहसील क्षेत्र में रहस्य ही रहस्य दबे पड़े हैं। रहस्यों की परत दर परत खुलती जा रही है। कुछ ऐसा ही रहस्य मुसाखाड़ बांध किनारे देखने को मिला है।
लखनऊ। चंद्रकांता की नगरी से इतिहास के पन्नों में स्थान बनाने वाले चंदौली के चकिया तहसील क्षेत्र में रहस्य ही रहस्य दबे पड़े हैं। रहस्यों की परत दर परत खुलती जा रही है। कुछ ऐसा ही रहस्य मुसाखाड़ बांध किनारे देखने को मिला है। पानी के इस अकाल में सूखे पेड़ से अनवरत निर्मल जल की धारा निकल रही है।यह अनोखा रहस्य तहसील मुख्यालय से 15 किमी दूरी पर स्थित सूखे पड़े मुसाखाड़ बांध किनारे देखने को मिल रहा है। पत्थरों व चुआड़ से पानी अनवरत निकलते हर किसी ने देखा होगा। लेकिन सूखे पड़े पेड़ से पानी निकलना वाकई अनोखे रहस्य के समान है। यकीनन इस सूखे पडे पेड़ से पानी की अविरल धारा उस समय निकल रही है जब चहुंओर बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। पानी का अकाल गांव-गांव, बस्ती-बस्ती के लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। पत्थरों के चुआंड़ों से गिरने वाला अनवरत पानी ने दम तोड़ दिया है। पाताल में पहुंच चुके पानी को बाहर निकालने में लोगों के पसीने छूट जा रहे हैं। इस बीच एक ऐसा अनोखा हाल जो हर किसी को सोचने समझने पर विवश कर दे रहा है। इसकी हकीकत जानने के लिए कोतवाल आनंद सिंह मय फोर्स के साथ पहुंच गए। सूखे पेड़ से निकल रहे निर्मल जल से प्यास बुझाए बल्कि उक्त जल को कोतवाली ले आए। लोग बाग उक्त स्थल पर पहुंच कर अनोखे रहस्य को नजदीक से देखने में लगे हुए हैं। मुसाखाड़ गांव के प्रधान बंसत कुमार, समाज सेवी संतोष सिंह यादव कहते हैं कि वाकई सूखे पेड़ से अनवरत जल निकलना अनोखा है। हर कोई लेखक देवकीनंदन खत्री की रची गई कथा चंद्रकांता की इन्हीं रहस्यमयी वादियों के इस स्थल पर जाने को अब बेताब होता जा रहा है।