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हनी ट्रैप की फ्रैंड लिस्ट में डीआरडीओ के भी अधिकारी

निशांत यादव, लखनऊ : जिस फेसबुक अकाउंट से सेना के ले. कर्नल और वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अ

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 09:14 PM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 10:27 PM (IST)
हनी ट्रैप की फ्रैंड लिस्ट में डीआरडीओ के भी अधिकारी
हनी ट्रैप की फ्रैंड लिस्ट में डीआरडीओ के भी अधिकारी

निशांत यादव, लखनऊ : जिस फेसबुक अकाउंट से सेना के ले. कर्नल और वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह को शिकार बनाया गया था। उस अकाउंट की फ्रेंड लिस्ट में भारत के रक्षा अनुसंधान केंद्र डीआरडीओ के दो अधिकारी भी शामिल हैं। जबकि वायुसेना मुख्यालय के लॉजिस्टिक अनुभाग के अलावा सेना के महत्वपूर्ण अनुभागों के अधिकारी भी उसमें जुड़े हुए हैं। हनी ट्रैप का शिकार बनाने वाला फेसबुक अकाउंट अब भी सक्रिय है। इस मामले में एक बड़ी लापरवाही सेना, वायुसेना और नौसेना के अधिकारियों की साइबर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (एसआइआरटी) के नियमों का पालन न करना भी है। जिसे लेकर इन अधिकारियों पर जल्द कार्रवाई की संस्तुति की जा सकती है।

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नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय की तकनीकी विंग लगातार हनी ट्रैप करने वाले फेसबुक अकाउंट की डिटेल खंगाल रही है। सेना मुख्यालय के सूत्रों की मानें तो ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह और जबलपुर में तैनात ले. कर्नल को जिस फर्जी फेसबुक अकाउंट के जरिए संपर्क किया गया था, उसमें डीआरडीओ के दो सीनियर अधिकारी, वायुसेना के लॉजिस्टिक अनुभाग के अधिकारी, भारतीय सेना की महत्वपूर्ण यूनिटों के अधिकारी, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के अलावा कई वैज्ञानिक भी शामिल हैं। फेसबुक अकाउंट पर कैलीफोर्निया सहित दो देशों में रहने वाले लोगों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।

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अब भी सक्रिय है वह अकाउंट

ले. कर्नल और ग्रुप कैप्टन को हनी ट्रैप का शिकार बनाने वाला फेसबुक अकाउंट अब भी सक्रिय है। रक्षा मंत्रालय की तकनीकी विंग उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही है। उस अकाउंट से शुक्रवार रात भी एक सैन्य अधिकारी से संपर्क किया गया था। हालांकि इस अधिकारी ने कोई रिस्पांस नहीं दिया है।

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इस नियम को तोड़ने पर फंसेंगे

इन मामलों में साइबर इमरजेंसी रिस्पांस टीम के बनाए नियमों और अलर्ट की जमकर अवहेलना करने की दिशा में भी जांच शुरू हो गई है। हनी ट्रैप वाले फेसबुक अकाउंट से जुड़े कई वायुसेना, नौसेना और सेना के अधिकारियों ने अपनी वर्दी की फोटो ही प्रोफाइल में लगा दी। इतना ही नहीं, अपनी वर्तमान तैनाती के बारे में भी उसी प्रोफाइल में जानकारी दे दी है। जिसे लेकर सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ गए हैं। जबकि नियम है कि छदम नाम से ही जवान और अधिकारी फेसबुक पर अपना अकाउंट खोल सकते हैं। उस पर उनकी सेवा से जुड़ी कोई भी जानकारी नहीं होगी। लेकिन इस मामले के पकड़े जाने के बाद एक बड़ी लापरवाही की बात भी सामने आ रही है।


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