अब बारूदी सुरंग पर भी चल सकेंगे सेना के जवान
देश की सरहद तथा उसके पास के क्षेत्र में तैनात सेना के जवानों को अब देश के दुश्मनों तथा आंतकियों की बारूदी सुरंग कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकेगी। सेना के जवान अब इन बारूदी सुरंगों पर न सिर्फ चल सकेंगे बल्कि उनको पल भर में नेस्तनाबूत भी कर देंगे।
लखनऊ (निशांत यादव)। देश की सरहद तथा उसके पास के क्षेत्र में तैनात सेना के जवानों को अब देश के दुश्मनों तथा आंतकियों की बारूदी सुरंग कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकेगी। सेना के जवान अब इन बारूदी सुरंगों पर न सिर्फ चल सकेंगे बल्कि उनको पल भर में नेस्तनाबूत भी कर देंगे। जवानों के लिए डीआरडीओ ने ब्लास्ट प्रोटेक्शन सूट और बूट तैयार किया है।
जबलपुर में सेना की आर्डीनेंस यूनिट अब लखनऊ में मध्य कमान के जवानों को यह ब्लास्ट प्रोटेक्शन सूट तथा बूट उपलब्ध कराएगी। अब यदि जवानों की चहलकदमी से बारूदी सुरंग फट भी जाए तो भी जवानों को खरोंच तक नहीं आएगी। इस वर्ष के अंत तक जवानों के पास यह सूट-बूट पहुंचाने की योजना है।
देश के जम्मू कश्मीर और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकी बारुदी सुरंग बिछाकर अक्सर किसी वारदात को अंजाम देने की कोशिश करते हैें। युद्ध के समय दुश्मन देश भी भारतीय सेना को अपने क्षेत्र में आने से रोकने के लिए लैंड माइन बिछाते हैं। वहीं छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड और बिहार में नक्सली वारदात में बारुदी सुरंग का इस्तेमाल करते हैं। नई दिल्ली स्थित आर्डिनेंस मुख्यालय को जवानों के सूट और बूट बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े मध्य कमान के सूत्रों के मुताबिक जमीन के भीतर छिपाए गए विस्फोटकों को नष्ट करने के लिए अभी जोखिम उठाना पड़ता था।
डिफेंस रिसर्च एंड डिजाइन ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) की अनुसंधान लैब में कई महीने के शोध के बाद इस विशेष तरह के शूट और बूट को तैयार किया गया है। शूट और बूट को जवानों के पहनने के लिए उनके आरामदायक होने के साथ अधिकतम सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है।
यह बारुदी सुरंग से 30 सेंटीमीटर दूरी तक होने वाले एपीएम-एम14 श्रेणी के ब्लास्ट को बर्दाश्त करने की क्षमता रखता है। इसका बूट भी बारुदी सुरंग के धमाके के दौरान जवानों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगा। सरहद पर होने वाले आतंकी हमलों और युद्धों के दौरान भी यह शूट और बूट अहम भूमिका निभाएगा। जवानों के लिए इसके भीतर मौजूद सुरक्षा कवच उनको न्यूक्लियर, बॉयोलोजिकल व केमिकल (एनबीसी) हमलों से भी बचाएगा।