साल में सिर्फ एक बार दवा खाकर बच सकते हैं फाइलेरिया से Lucknow News
गुरुवार को जागरण कार्यालय में आयोजित हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में डॉ. वीपी सिंह ने पाठकों के सवालों के जवाब दिए।
लखनऊ, जेएनएन। बारिश के मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। ऐसे में डेंगू-मलेरिया के साथ ही फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी का खतरा भी रहता है। फाइलेरिया एक ऐसा रोग है जिसके लक्षण संक्रमित होने के छह महीने या साल भर बाद दिखाई देते हैं। इसलिए यह रोग और घातक हो जाता है। इससे बचाव के लिए मच्छरजनक कारकों को तो नष्ट करें ही, साथ में सरकार द्वारा वितरित की जाने वाली दवा का भी सेवन करें। यह दवा साल में सिर्फ एक बार खानी होती है। यदि तीन से पांच साल तक यह क्रम बनाए रखा जाए तो फाइलेरिया से जीवन भर के लिए मुक्ति मिल सकती है। यह अहम जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक, फाइलेरिया डॉ. वीपी सिंह ने दी।
प्रारंभिक लक्षण : बुखार, बदन दर्द, शरीर पर लाल धारियां पड़ जाना, गिल्टियां निकलना।
गंभीर लक्षण : अंडकोष में सूजन, पैर या हाथ में सूजन, स्तन में सूजन, पेशाब में सफेद स्राव (काईल्यूरिया), सूजन का काफी बढ़ जाना।
घातक है फाइलेरिया
फाइलेरिया दिव्यांगता फैलाने वाली विश्व की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी है। बावजूद इसके लोगों में इसके प्रति जागरूकता की कमी है। रेंडम चेकिंग में पांच से 16 फीसद लोगों में इसका संक्रमण पाया गया है। 2004 से सरकार की ओर से फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। 2020 तक फाइलेरिया से पूर्ण मुक्ति का लक्ष्य रखा गया है। उत्तर प्रदेश में फाइलेरिया के प्रति संवेदनशील 50 जिलों को रखा गया है।
ऐसे फैलता है रोग
फाइलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को क्यूलेक्स मादा मच्छर काटती है, तो उसके शरीर में माइक्रोफाइलेरिया परजीवी पहुंच जाते हैं। यह मादा मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है तो वह भी संक्रमित हो जाता है। छह माह से दो साल के भीतर माइक्रोफाइलेरिया परजीवी परिपक्व होकर कृमि में बदल जाता है और प्रजनन कर अपनी तादाद बढ़ाता है। तब संक्रमित व्यक्ति में फाइलेरिया के लक्षण दिखना शुरू होते हैं। यह परजीवी रात नौ से दो के बीच ज्यादा सक्रिय होता है। इसलिए इसकी जांच भी रात नौ बजे के बाद ही होती है। अधिकांशत किशोरावस्था में यह संक्रमण प्रारंभ होता है। इससे उनमें कमजोरी, काम में रुचि न लेना, थकान, खेलने-कूदने में मन न लगना जैसे लक्षण दिखाई पडऩे लगते हैं। दो से दस साल बाद यह हाथीपांव में भी बदल सकता है।
यहां करें शिकायत
एमडीए के तहत वितरित की जाने वाली दवा लेने से यदि आप चूक गए हैं तो किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर फाइलेरिया की दवा ले सकते हैं। इसके अलावा जिला मलेरिया अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। यदि दवा न मिले अथवा मलेरिया अधिकारी से आपकी समस्या का समाधान न हो तो आप 7408922170 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
सवाल : कुछ समय पहले चोट लगी थी। अब अंडकोष में सूजन हो गई है, क्या करें?
जवाब : इसे गंभीरता से लें। ऑपरेशन होगा। सबसे पहले जिला मलेरिया अधिकारी से जाकर मिलें। वे इससे संबंधित सभी जानकारी आपको मुहैया करवा देंगे। साथ ही ऑपरेशन कहां होना है, कैसे होना है, इसकी पूरी प्रक्रिया वे बता देंगे। इसका ऑपरेशन मुफ्त होता है।
सवाल : बेटी को बुखार है। गले में दर्द है, क्या यह चिकनगुनिया हो सकता है?
जवाब : मरीज को बिना देखे कुछ कहना संभव नहीं। बुखार है तो इसे हल्के में न लें। तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केंद्र जाकर दिखाएं। इसके अलावा मच्छरों से पूरा बचाव करें। मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर और आसपास पानी न जमा होने दें।
सवाल : पिताजी को फाइलेरिया हो गया है। चल नहीं पाते। अंडकोष में तकलीफ है। क्या करें?
जवाब : बाराबंकी में फाइलेरिया कंट्रोल यूनिट है। वहां ले जाकर तुरंत जांच कराएं। यदि कोई समस्या आ रही हो तो जिला मलेरिया अधिकारी से संपर्क करें। ध्यान रखिये कि फाइलेरिया का बचाव ही इलाज है। यदि बीमारी आरंभिक चरण में है तो इलाज हो जाएगा। गंभीर स्थिति में इसका इलाज नहीं।
सवाल : मुझे विदेश जाना है। फाइलेरिया की जांच करवाई। संक्रमण निकला। दवा लिख दी गई है, वह खा रहा हूं। इसके अलावा क्या एहतियात बरतूं?
जवाब : सरकार की ओर से हर साल दवा खिलाने के लिए टीम घर-घर जाती है। यदि उस वक्त आपने दवा खाई होती तो संक्रमण नहीं होता। फिलहाल तो जितना और जैसा इलाज बताया गया है, वह पूरा करें। गोरखपुर में फाइलेरिया कंट्रोल यूनिट है, वहां संपर्क करें। आसपास मच्छरजनक कारकों को न बनने दें। यदि हैं तो उन्हें नष्ट कर दें।
सवाल : फाइलेरिया के लिए सरकार की क्या योजनाएं चल रही हैं?
जवाब : सरकार साल में एक बार मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम आयोजित करती है। इसके तहत नवंबर व फरवरी महीने में घर-घर जाकर दवा खिलाई जाती है। यह दवा साल में एक बार ही खानी होती है। यह दवा दो साल से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं व गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सबको खिलाई जाती है। यदि पांच साल तक लगातार प्रतिवर्ष एक बार दवा खाने का क्रम जारी रखा जाए तो आजीवन फाइलेरिया से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही पीएचसी, सीएचसी व जिला अस्पतालों में समय-समय पर हाइड्रोसील के ऑपरेशन के लिए कैंप लगाए जाते हैं।
सवाल : फाइलेरिया से बचाव कैसे करें?
जवाब : फाइलेरिया से बचाव के वही उपाय हैं, जो किसी भी मच्छरजनित रोग के होते हैं। यह मच्छर से ही फैलता है, लिहाजा मच्छरों के पनपने को रोककर इससे बचा जा सकता है। घर के आसपास सफाई रखें, ताकि बारिश में पानी जमा न हो सके। फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है और यह ठहरे हुए गंदे पानी में ही पनपता है। आसपास जलभराव न होने दें। ऐसे कपड़े पहनें, जिससे पूरा बदन ढका रहे। बारिश के मौसम में बासी खाना न खाएं। बाहर के खाने से परहेज करें। मच्छरदानी का प्रयोग करें।
सवाल : कुछ दिन पहले एक पैर में सूजन हुई। डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने फाइलेरिया की दवा लिख दी। क्या करूं?
जवाब : पूरी दवा खाएं। जिला मलेरिया अधिकारी से संपर्क करें। इसकी जांच होगी। इसमें लापरवाही न बरतें। अभी प्रारंभिक स्टेज है, तो इलाज संभव है। स्थिति गंभीर होने पर इलाज नहीं हो सकता।
सवाल : सोकर उठने के बाद जमीन पर पैर रखते ही दाहिने पैर की एड़ी में जोर का दर्द होता है।
जवाब : हड्डी के डॉक्टर को दिखाएं। यह फाइलेरिया के लक्षण नहीं।