फेम इंडिया एशिया पोस्ट के सर्वे में सशक्त महिलाओं में चुनी गईं डॉ. मानसी द्विवेदी
अयोध्या से लखनऊ आकर स्वयं को कवयित्री कुसुम मानसी द्विवेदी के रूप में किया स्थापित।
लखनऊ, (दुर्गा शर्मा)। फैजाबाद के तहसील मिल्कीपुर स्थित गांव में रहने वाले पंडित खुशीराम दुबे 'दिव्य' एक कृषक, शिक्षक होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी रहे। इनकी किताब 'उद्घोष' को राष्ट्रपति से सम्मान भी मिला। अपने पिता के दिए कलम रूपी संस्कार को मानसी द्विवेदी ने और समृद्ध किया। तरक्की के विविध आयाम संग गमों को भूलने का साजो-सामान उन्हें लखनऊ में मिला। अयोध्या से लखनऊ आकर डॉ. मानसी द्विवेदी ने स्वयं को कवयित्री कुसुम मानसी द्विवेदी के रूप में स्थापित किया। नारी विमर्श और लीक से हटकर गीत लिखने वालीं डॉ. मानसी द्विवेदी की काव्य धारा का हर रंग खास है। इनके जीवन संघर्ष पर किशोर लेखक मृगेंद्र पांडेय ने 'एक और सीता' शीर्षक से किताब भी लिखी। फेम इंडिया एशिया पोस्ट के सर्वे में सशक्त महिलाओं में चुने जाने पर वह कहती हैं...
'मैंने देखा ही नहीं पांव के छालों की तरफ'
मानसी 2009 में रहने के लिए लखनऊ आईं थीं। थोड़े ही समय बाद जीवन में कुछ ऐसा घटा कि लखनऊ छूट गया। फिर 2013 में दोबारा लखनऊ आना हुआ। कहती हैं, अगर मेरे संघर्षों का गवाह लखनऊ है तो अभाव से प्रभाव तक का सफर भी इसी शहर ने लिखा। एक कवयित्री के रूप में मेरे मान-सम्मान में श्री वृद्धि की। वह अपने और लखनऊ के सफर को कुछ यूं बयां करती हैं...
जाने कितने अभिशापों को झेला- झेला फिर झेला,
पर तुमको पाया तो पाया खुशियों का स्थिर मेला,
तुम मुझको जो चाहे लिखना
मैं नदिया की नाव लिखूंगी,
जब-जब धूप पड़ेगी सिर पर तुमको शीतल छांव लिखूंगी।।
प्रकाशित पुस्तकें
साहित्यिक : एक अंजुरी धूप (2004), दरकती दीवार(2016)।
शैक्षणिक : परास्नातक के लिए- शिक्षा में नवीन प्रवृत्तियां (2017), मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन एवं सांख्यिकी (2017)
देश-विदेश में मान-सम्मान
डॉ. मानसी को उप्र हिंदी संस्थान द्वारा डॉ. रांगेय राघव पुरस्कार (2016) मिला है। साथ ही हिंदी अकादमी, दिल्ली से लेकर दुबई तक की दर्जन भर साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
अन्य विशेष उपलब्धियां
प्रयागराज के कुंभ मेले के बहुतायत मंचों के साथ ही अयोध्या के ऐतिहासिक दीपोत्सव का कुशल संचालन। सौ से ज्यादा कवि सम्मेलनों का संचालन करने के साथ ही देश-विदेश में काव्य पाठ।