पंजीकरण के बाद घरेलू कामगार महिलाओं को मिलेगा पहचान पत्र
राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन की ओर से जन सुनवाई, महिलाओं ने रखीं अपनी समस्याएं। अतिथियों ने सरकार तक उनकी बात पहुंचाकर उनको हल कराने का आश्वासन दिया।
लखनऊ, जेएनएन। सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित घरेलू कामगारों का नए साल से पंजीकरण शुरू होगा। पंजीकरण के बाद घरेलू कामगार महिलाएं को पहचान पत्र मिलेगा। फिर वह केंद्र व प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। यह बातें असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के सदस्य बीएल कुशवाहा ने कही। वह बुधवार को घरेलू कामगार महिलाओं की समस्याओं और मुद्दों पर आयोजित जन सुनवाई में बोल रहे थे।
सरकार और जनता तक अपनी समस्याएं पहुंचाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन की ओर से गोमती नगर स्थित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में जनसुनवाई का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ प्रार्थना गीत और जागृति गीत से किया गया। एक ओर घरेलू कामगार महिलाओं ने एक-एक करके अपनी समस्याएं रखीं, तो वहीं मंच पर बैठे अतिथियों ने उनकी समस्याएं सुन सरकार तक उनकी बात पहुंचाकर समस्याओं को हल कराने का आश्वासन दिया। सबसे पहले सीमा रावत ने घरेलू कामगार महिलाओं के साथ होने वाली दुर्घटना व अपराध के बारे में बताया। फिर रूपा चौहान व मानसी देवी ने बिना कारण काम से निकालने और उनके साथ भेदभाव की समस्या को पेश किया। बाद में अनीता शर्मा व रेनू देवी ने कामगार की चिकित्सा और न्यूनतम मजदूरी की समस्याएं रखीं।
बोर्ड सदस्य बीएल कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2008 में असंगठित कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा अधिनियम बनाया था। इसी क्रम में वर्ष 2016 में नियमावली बनी और वर्ष 2018 में असंगठित बोर्ड का गठन किया गया। एडवोकेट शक्ति प्रताप द्विवेदी ने कहा कि घरेलू कामगार महिलाओं के लिए पूर्ण रुप से कोई अलग कानून नहीं है। महाराष्ट्र व केरल की तरह उप्र में भी घरेलू कामगार महिलाओं के लिए विशेष कानून बनना चाहिए। जन सुनवाई में भवन निर्माण मजदूर यूनियन के नेता प्रमोद पटेल, राष्ट्रीय महिला फेडरेशन की प्रदेश सचिव आशा मिश्रा सहित कई लोगों ने अपने विचार रखे।