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UP News: आठ माह में 14 लाख से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने किया घायल, पढ़ें यूपी स्वास्थ्य विभाग की खास रिपोर्ट

Dangerous Dog Breeds लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में पिछले आठ माह में 14 लाख से ज्यादा लोगों को कुत्ते घायल कर चुके हैं। यूपी स्वास्थ्य विभाग के रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। लखनऊ में अगस्त के महीने में 10 हजार 349 व्यक्तियों को जानवरों ने काटा है।

By JagranEdited By: Vikas MishraPublished: Wed, 28 Sep 2022 07:56 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 07:56 AM (IST)
UP News: आठ माह में 14 लाख से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने किया घायल, पढ़ें यूपी स्वास्थ्य विभाग की खास रिपोर्ट
Dangerous Dog Breeds: उत्तर प्रदेश में 14 लाख 50 हजार 158 लोगों को कुत्तों ने काटा है।

Dangerous Dog Breeds: लखनऊ, जागरण संवाददाता। रिपोर्ट ही बता रही है कि इंसानी जीवन के लिए पशु कितना खतरनाक हो गए हैं। उत्तर प्रदेश में जनवरी से अगस्त 2022 तक में अलग-अलग प्रजाति के पशुओं ने 17 लाख दो हजार 165 लोगों को काटा। 14 लाख 50 हजार 158 लोगों को कुत्तों ने काटा है। उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के संचारी रोग विभाग के संयुक्त निदेशक डा. पंकज सक्सेना ने बताया कि सिर्फ अगस्त भर में प्रदेश में दो लाख 16 हजार 791 लोगों को अलग-अलग जानवरों ने काटा है। इनमें से एक लाख 81 हजार 468 लोगों को कुत्तों ने काटा है।

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लखनऊ में अगस्त के महीने में 10 हजार 349 व्यक्तियों को जानवरों ने काटा है। इनमें से नौ हजार 475 लोग को कुत्तों ने काटे जाने के शिकार हैं। कुत्ते और अन्य जानवरों के काटे जाने पर होने वाली गंभीर और जानलेवा बीमारी रेबीज के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रो. मनीष सिंह ने बताया कि रेबीज जानवरों से इंसानों में फैलने वाली घातक बीमारी है।

150 से भी अधिक देशों में रेबीज का संक्रमण पाया जाता है। दुनिया भर में प्रतिवर्ष 59 हजार लोगों की मृत्यु रेबीज के कारण होती है। भारत में यह आंकड़ा 20 हजार लोगों का है और उत्तर प्रदेश में इसके एक तिहाई लोग शामिल हैं। भारत में 97% मामलों में रेबीज कुत्तों के काटने से होता है। इसके अलावा बंदर, बिल्ली, लोमड़ी, बकरी, सूअर, गाय या भैंस के काटने से भी हो सकता है।

यदि घाव चेहरे हाथ पैर और शरीर के अन्य जगहों पर गहरे हैं और उनसे खून निकल रहा है तो उस जगह पर इम्यूनोग्लोबुलीन या फिर मोनोक्लोनल एंटीबाडी इंजेक्शन का घाव पर लगवाना बेहद जरूरी होता है। डा. पंकज के अनुसार यदि आप पालतू जानवर रख रहे हैं तो उन्हें समय से वैक्सीन जरूर लगवाएं और बाहरी जानवरों के संपर्क में आने से बचाएं ताकि रेबीज होने की आशंका कम से कम रहे।

यह बातें भी जरूरीः जानवर द्वारा काटे जाने पर, घाव को साबुन और बहते पानी से 15 मिनट तक धोएं। किसी प्रकार मिर्च, मिट्टी का तेल, मिट्टी आदि जलन करने वाली चीज घाव पर नही लगाएं।- जानवर द्वारा काटने पर दांत लगने या कटी फटी जगह पर रेबीज ग्रसित संभावित जानवर द्वारा काटे जाने पर वैक्सीन लगाई जाती है, अवश्य लगवाएं। वैक्सीन मांस पेशियों और त्वचा पर लगाई जाती है। 

मांसपेशियों में लगाए जाने वाले इंजेक्शन की पांच खुराक लेनी पड़ती है। त्वचा में लगाए जाने वाले वैक्सीन दोनों बाहों में चार बार लगवाना जरूरी होती है। इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स ने रेबीज वैक्सीन को 15 वर्ष की आयु से कम के बच्चों में प्री एक्सपोजर प्रोफाइलेक्सिस वैक्सीन लगाए जाने के लिए की संस्तुति की है। बच्चों में जानवरों के नाखून या दांत लगने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।


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