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तन्वी मामला: पासपोर्ट देने के एक दिन बाद अपलोड हुए दस्तावेज

पुलिस ने अभी तक नहीं की जाच, वेरिफेशन अधर में। पासपोर्ट देने के 21 दिन के भीतर पूरा करना होता है वेरिफिकेशन।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Jun 2018 10:39 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jun 2018 10:55 AM (IST)
तन्वी मामला: पासपोर्ट देने के एक दिन बाद अपलोड हुए दस्तावेज
तन्वी मामला: पासपोर्ट देने के एक दिन बाद अपलोड हुए दस्तावेज

लखनऊ(जेएनएन)। शायद यह पहला मौका होगा जब किसी को पहले पासपोर्ट दे दिया गया और उसके वेरिफिकेशन के दस्तावेज एक दिन बाद अपलोड किए गए। हालही के चर्चित तन्वी सेठ उर्फ सादिया अनस के मामले में कुछ ऐसा ही हुआ। क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में पहले जहा स्पीड पोस्ट की जगह हाथ में पासपोर्ट दे दिया गया। वहीं स्थानीय अभिसूचना विभाग को दूसरे दिन वेरिफिकेशन के दस्तावेज भेजे गए। इससे पहले फाइल में दस्तावेजों को पूरा भी किया गया। तन्वी से एक सादे कागज पर नीले पेन से यह लिखवाया गया कि वह वर्क फ्रॉम होम के तहत नोएडा की कंपनी के लिए काम करती हैं। अब तक तन्वी उर्फ सादिया अनस के पासपोर्ट का वेरिफिकेशन नहीं हो सका है। नियमानुसार जैसे ही आवेदक के दस्तावेज की जाच सहित सभी प्रक्त्रिया पासपोर्ट सेवा केंद्र में पूरी हो जाती है, तभी ऑनलाइन ही अभिसूचना विभाग को वेरिफिकेशन डिटेल पहुंच जाती है। तन्वी सेठ के प्रकरण में वेरिफिकेशन की डिटेल 22 जून की शाम अभिसूचना विभाग को मिली, जबकि तन्वी को पासपोर्ट 21 जून की सुबह 11 बजे ही सौंप दिया गया था। अभिसूचना के अधिकारियों के मुताबिक, 21 दिन के भीतर वेरिफिकेशन को पूरा करना होता है। विभाग को 22 जून की शाम ही डिटेल मिली है। विभाग के वीपी सिंह को इसकी जाच करनी है लेकिन, वह अवकाश पर चल रहे हैं। वहीं पुलिस की सुस्त प्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। थाने का पैरोकार प्रतिदिन जवाहर भवन स्थित अभिसूचना विभाग के कार्यालय से वेरिफिकेशन की एक प्रति ले जाता है लेकिन, अब तक कैसरबाग थाने से डाक नहीं ले जाई गई।

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रद होना चाहिए था तन्वी का पासपोर्ट आवेदन:

पासपोर्ट आवेदन फार्म भरने में यदि कोई गलत या अधूरी जानकारी भरी जाती है तो आवेदन को ही निरस्त करने का प्रावधान है। पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत आवेदन पत्र के हर कॉलम को भरा जाना जरूरी है। साथ ही उनसे जुड़े मूल प्रमाण पत्र भी लाना होता है। आवेदन में नाम और उपनाम को भरने के बाद एक कॉलम है, जिसमें आवेदक का कोई दूसरा नाम होने पर हा या फिर नहीं होने पर न के कॉलम में टिक करना होता है। यदि कोई आवेदक कभी अपना नाम बदलता है उसे भी हा या न के कॉलम में टिक करना होता है। तन्वी सेठ उर्फ सादिया अनस को इसी कॉलम में हा के कॉलम में टिक लगाने के लिए वरिष्ठ अधीक्षक विकास मिश्र ने कहा था, जिस पर तन्वी सेठ ने एतराज जताया और यह कहा कि वह अपने पुराने नाम से ही पासपोर्ट लेना चाहती हैं।

बिना होल्ड हटाए दे दिया पासपोर्ट:

तन्वी सेठ जब 20 जून को रतन स्क्वायर स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र पहुंची थीं, वहा अपना वर्तमान नाम सादिया अनस आवेदन में न जोड़ने पर उनका आवेदन पत्र होल्ड कर दिया गया था। ऐसे में 21 जून को गोमतीनगर स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से तन्वी को पासपोर्ट देने से पहले रतन स्क्वायर में उनको आना चाहिए था। यहा काउंटर ए और बी की प्रक्त्रिया के बाद सी के लिए फाइल सहायक पासपोर्ट अधिकारी को गोमतीनगर कार्यालय भेजना चाहिए थी, जबकि इस मामले में इस नियम की धज्जिया उड़ाई गईं।

ज्वाइन कर छुट्टी पर गए विकास:

तन्वी सेठ प्रकरण में वरिष्ठ अधीक्षक विकास मिश्र का तबादला गोरखपुर कर दिया गया। विकास मिश्र ने सोमवार को गोरखपुर में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया। इसके बाद विकास चार दिन के अवकाश पर चले गए हैं।

मुस्लिम कारसेवक मंच ने किया प्रदर्शन:

तन्वी सेठ प्रकरण में वरिष्ठ अधीक्षक विकास मिश्र पर की गई कार्रवाई के विरोध में मुस्लिम कारसेवक मंच उतर आया है। मंच ने गोमतीनगर स्थित पासपोर्ट कार्यालय का घेराव कर दिया। मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर मोहम्मद आजम खान ने कहा कि इस्लाम में यह कहीं नहीं लिखा है कि किसी दूसरे धर्म की लड़की से शादी करने पर उस लड़की का धर्म परिवर्तन कराया जाए तो ही निकाह जायज माना जाएगा। तन्वी सेठ ने मोहम्मद अनस से प्रेम विवाह किया था। ऐसे में तन्वी सेठ के नाम से ही निकाहनामा तैयार किया जा सकता है। यह लव जिहाद के रूप में देखा जा सकता है। जहा जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। अनस सिद्दीकी भी अपना धर्म परिवर्तन कर अनस सेठ बन सकते थे। वहीं, वरिष्ठ अधीक्षक विकास मिश्र ने जब अपनी ड्यूटी निभाई तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर दी गई, जो कि गलत है। ¨हदू विवाह अधिनियम 1955 और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत मुस्लिम विवाह में दोनों के नियम अलग हैं। ¨हदू विवाह विशेष अधिनियम 1954 में इंटरफेथ एवं इंटरकास्ट विवाह की अनुमति दी गई है। इसके विपरीत ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी अनुमति नहीं देता। इस्लाम धर्म में इसका कोई प्रावधान नहीं है कि लड़की या लड़के को धर्म परिवर्तन करना जरूरी है।


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