बढ़ी उम्मीद : जीन की मदद से होगा टेढ़े-मेढ़े पैरों का सटीक इलाज
केजीएमयू के डॉ. अजय सिंह ने की जीन की पहचान, बच्चों में होने वाली क्लब फुट बीमारी पर चल रहा है शोध।
लखनऊ, जेएनएन । जन्मजात टेढ़े-मेढ़े पैर की विकृति से पीडि़त बच्चों को अब सटीक इलाज मिल सकेगा। विकृति के लिए जिम्मेदार जीन की खोज की गई है। जिसके जरिए अब पता चल जाएगा कि विकृति प्लास्टर से ही सही हो जाएगी या इसके लिए ऑपरेशन करना पड़ेगा।
केजीएमयू के पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख डॉ. अजय सिंह ने क्लब फुट के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान कर ली है। मुंबई में चल रहे पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक सोसाइटी ऑफ इंडिया की अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में उनके शोध को बेस्ट पेपर का अवार्ड दिया गया है।
डॉ. अजय ने बताया कि करीब 30 फीसदी बच्चे जन्मजात टेढ़े-मेढ़े पैर यानी क्लब फुट पीडि़त होते हैं। आज तक इसके कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है। अब तक क्लब फुट से पीडि़त बच्चों में पहले नॉर्मल प्लास्टर लगाया जाता है। इसके बाद भी ठीक नहीं होता है तो ऑपरेशन करना पड़ता है। यह प्रक्रिया काफी लंबी हो जाती है। हमारी कोशिश थी कि एक ऐसे जीन की पहचान की जाए जिससे पता लगाया जा सके बच्चों का पैर किस इलाज से ठीक हो सकेगा। शोध में हमें सी-677 टी म्यूटेशन एट एमटीएचएपआर नामक जीन का पता है। इसकी मदद से पता चल सकेगा कि पैर को सही करने के लिए ऑपरेशन करना होगा या प्लास्टर से ही काम हो जाएगा। कारणों पर शोध अभी भी जारी है।