अस्पतालों में लागू होगी DNR पॉलिसी, जानिए क्या होगा लाभ Lucknow News
लखनऊ के निजी और सरकारी अस्पतालों में शुरू होगी नॉट रेसिसिटेट पॉलिसी। मरीज को वेंटिलेटर पर शिफ्ट करने से पहले लेनी होगी तीमारदारों की सहमति।
लखनऊ, जेएनएन। देशभर के अस्पतालों में डू नॉट रेसिसिटेट (डीएनआर) पॉलिसी लागू होगी। इसमें ऑपरेशन की तरह मरीजों को वेंटिलेटर पर शिफ्ट करने से पूर्व परिवारीजनों की सहमति अनिवार्य होगी। डीएनआर में वेंटिलेटर पर मरीज को शिफ्ट करने के नियम तय किए गए हैं। यह निजी और सरकारी अस्पताल दोनों पर लागू होगी।
यह बातें केजीएमयू के कन्वेंशन सेंटर में शनिवार को यूपी-एपीकॉन में मुख्य अतिथि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के डीजी बलराम भार्गव ने कही। उन्होंने कहा कि अब सरकार की ओर से ‘डू नॉट रेसिसिटेट’ पॉलिसी लाई जा रही है। इसे दिसंबर तक लागू करने की योजना है। इसमें मरीजों के ट्रीटमेंट, प्रोसीजर के प्रोटोकॉल के साथ-साथ परिवारीजनों के अधिकारों का भी ध्यान रखा गया है।
क्या है डीएनआर : असाध्य और लाइलाज बीमारी में मरीज को कब वेंटिलेटर पर रखना है और किस समय तक। किन हालात में यह फैसला करना है, यह तय होगा। इससे संसाधनों का जहां दुरुपयोग थमेगा, साथ ही तीमारदार आर्थिक बोझ से भी बच सकेंगे। बलराम भार्गव ने कहा कि कई बार कैंसर, ऑर्गन फेल्योर, कोमा, ब्रेन डेथ या अन्य बीमारियों में मरीजों को डॉक्टर जवाब दे देते हैं, लेकिन फिर भी महीनों तक उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। इसमें जहां एक तरफ जरूरतमंदों को वेंटिलेटर नहीं मिल पाता तो दूसरी ओर घरवालों का लाखों रुपये खर्च भी हो जाता है। कभी-कभार निजी अस्पताल परिवारजनों की बिना राय के भी वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर देते हैं।
हर मेडिकल कॉलेज के जिम्मे 10 वेलनेस सेंटर : डीजी बलराम भार्गव ने कहा कि देशभर के वेलनेस सेंटरों को मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध किया जाएगा। एक मेडिकल कॉलेज 10 वेलनेस सेंटर को गोद लेगा। इस दौरान केजीएमयू में इंफेक्शियस डिजीज सेंटर का भी उद्घाटन किया। इस दौरान कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट भी मौजूद रहे।