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बचपन की चोट को न करें नजरंदाज : उम्र के साथ बढ़ सकती है तकलीफ; पुरुष होते हैं अधिक श‍िकार

जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड रिसर्च के प्रिवलेंस ऑफ डिसएबिलिटी इन उत्तर प्रदेश के शोध के अनुसार प्रदेश के एक लाख लोगों में से 2081 लोग निशक्त हैं। यह आकड़ा दो फीसद है। सबसे ज्यादा निशक्त कुशीनगर में हैं और सबसे कम ज्योतिफुलेनगर में हैं।

By Rafiya NazEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 07:30 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 07:30 AM (IST)
बचपन की चोट को न करें नजरंदाज : उम्र के साथ बढ़ सकती है तकलीफ; पुरुष होते हैं अधिक श‍िकार
जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड रिसर्च के प्रिवलेंस ऑफ डिसएबिलिटी इन उत्तर प्रदेश में निकलकर आया तथ्‍य।

लखनऊ [कुमार संजय]। बचपन में लगी चोट को नजरंदाज न करें। आगे चलकर यही चोट आपके लिए समस्या बन सकती है और आपको असहाय बना सकती है। बढ़ती उम्र में देखने, सुनने और चलने-फिरने की समस्या आम हैं। इन समस्याओं में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की संख्या ज्यादा है। 

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जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड रिसर्च के प्रिवलेंस ऑफ डिसएबिलिटी इन उत्तर प्रदेश के शोध के अनुसार प्रदेश के एक लाख लोगों में से 2081 लोग निशक्त हैं। यह आकड़ा दो फीसद है।  सबसे ज्यादा निशक्त कुशीनगर में हैं और सबसे कम ज्योतिफुलेनगर में हैं। रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक सुनने की परेशानी 514 प्रति लाख है। देखने की परेशानी 382 प्रति लाख और चलने -फिरने की परेशानी में 339 प्रति लाख लोग शामिल हैं। 

सबसे अधिक निशक्तता वाले 10 जिले, प्रति लाख में 

कुशीनगर- 3922

गाजियाबाद- 3102

प्रयागराज- 2992

बलिया- 2802

आगरा- 2748

कौशांबी- 2666

लखनऊ- 2616

वाराणसी- 2615

जौनपुर- 2600

कानपुर नगर- 2449

सबसे कम निशक्तता वाले 10 जिले, प्रति लाख

ज्योतिफुलेनगर -1447

बलरामपुर -1447

ललितपुर -1500

बांदा -1524

चित्रकूट-1566

संतकबीरनगर-1589

मुजफ्फरनगर-1602

हमीरपुर-1603

चंदौली-1636

आजमगढ़-1638

किस आयु वर्ग में कितनी है निशक्तता प्रति लाख

0 से 9- 1644

20 से 39- 2070

40 से 59-2314

60 से अधिक-  4276

किस लिंग और परिवेश में कितनी निशक्तता

पुरुष- 2263

महिला- 1881

ग्रामीण- 2039

शहरी - 2227

किस उम्र में कितनी कौन सी परेशानी

परेशानी 

 0-19,   20-39,  40 से 59, और  60 से अधिक

देखने-   283            311            451         1112

सुनने-   439            493            558         947

बोलने - 115            144           152         163

चलने-   202              403           375        878

मानसिक  81            110            96         70

बौद्धिक-  25              51           54         44

अन्य परेशानी- 85          84             85         396

एसजीपीजीआइ न्यूरोलाजिस्ट प्रो. रुचिका टंडन ने बताया कि विश्व में सबसे अधिक मौतें निशक्तता की वजह से होती हैं।  प्रशिक्षण के बल पर इस प्रकार की मौतों पर काबू पाया जा सकता है। इन लोगों की मदद के लिए सभी को आगे आना चाहिए। 


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