डीएनए ही बनेगा भविष्य का आधार कार्ड
अंतरराष्ट्रीय डीएनए दिवस पर एराज मेडिकल यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ कार्यक्रम
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। डीएनए के बारे में अभी भी बहुत कुछ जानना शेष है। जिस दिन जटिल बीमारियों का अंत करने व मृत्यु पर विजय प्राप्त करने में वैज्ञानिकों को सफलता मिल जाएगी बायोलॉजिकल साइंस में यह अध्याय पूर्ण हो जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय डीएनए दिवस के मौके पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह जानकारी एराज मेडिकल यूनीवर्सिटी के कुलपति प्रो.अब्बास ए. मेहंदी ने दी। प्रो. मेंहदी ने कहा कि डीएनए ही भविष्य का आधार कार्ड बनेगा। संसार में जीवन की उत्पत्ति से लेकर मृत्यु तक डीएनए के निर्माण, उसकी अलग-अलग भूमिकाओं पर हो रहे अध्ययनों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि डीएनए के बाबत अभी भी बहुत कुछ जानना बाकी है। प्रो.मेहंदी ने स्वस्थ जीवन शैली व खान-पान पर ध्यान देने की विशेष जरूरत बताई। उनके अनुसार कोशिकाओं से बने ऊतकों में असंतुलित डीएनए के बन जाने से आधुनिक चिकित्सा ही नहीं, प्राकृतिक चिकित्सा भी प्रभावी नहीं रह जाती है। सीडीआरआइ के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं साइंटूनिस्ट डॉ.पीके श्रीवास्तव ने साइंटून की मदद से विद्यार्थियों को बताया कि भारत में 4365 प्रकार के मनुष्य उपलब्ध हैं। उन्होंने जंगली जीवों की संख्या से लेकर अपराध विज्ञान तक में डीएनए की विभिन्न रासायनिक प्रकृति और परिवर्तन पर जानकारी दी।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की विशेष सचिव मिनिस्ती एस. नायर ने कहा कि डीएनए दिवस केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर का दिवस ही नहीं है, बल्कि लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ाने का भी मुख्य अवसर है। यह दिन हमको ज्ञात से अज्ञात विज्ञान को जानने, पहचानने व उसको अपनाने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि यदि विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ने का पहले ही मौका मिला होता तो निश्चित रूप से विज्ञान अपने चरम पर होता।
कार्यक्रम में भाग लेने आए छात्र-छात्राओं को इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में शो दिखाया गया और सभी को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम का संचालन संयुक्त निदेशक डॉ. हुमा मुस्तफा ने किया। अंत में सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आइडी राम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।