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कंपोजिट ग्रांट घोटाले में DM उन्नाव निलंबित, तीन हजार स्कूलों के लिए मिले दस करोड़ में किया घालमेल

मंडलायुक्त की रिपोर्ट में दोषी पाए गए देवेंद्र कुमार पांडेय चला मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का हंटर।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 10:38 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 07:32 AM (IST)
कंपोजिट ग्रांट घोटाले में DM उन्नाव निलंबित, तीन हजार स्कूलों के लिए मिले दस करोड़ में किया घालमेल
कंपोजिट ग्रांट घोटाले में DM उन्नाव निलंबित, तीन हजार स्कूलों के लिए मिले दस करोड़ में किया घालमेल

लखनऊ, जेएनएन। सरकार से भरपूर बजट मिलने के बाद भी सरकारी स्कूलों की दशा क्यों नहीं सुधर रही, इसकी वजह अब सामने है। 3137 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए मिली करीब दस करोड़ रुपये की कंपोजिट ग्रांट को स्कूलों में लगाने की बजाए अधिकारियों ने इसका बंदरबांट कर लिया। मंडलायुक्त लखनऊ की जांच रिपोर्ट में जिलाधिकारी उन्नाव देवेंद्र कुमार पांडेय प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं। भ्रष्ट अफसरों पर लगातार कार्रवाई का हंटर चला रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीएम को निलंबित कर दिया है।

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उन्नाव के 3137 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए शासन ने 9.73 करोड़ रुपये की कंपोजिट ग्रांट दी थी। स्वच्छता, चिकित्सा, स्टेशनरी व बिजली उपकरणों सहित अन्य 17 कार्यों पर यह रकम खर्च होनी थी। ग्रांट के दुरुपयोग की शिकायत पर सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक की टीम ने जिले में जांच की। अनियमितता पाए जाने पर तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बीके शर्मा और सामग्री सप्लायर जौनपुर के ओलैंडगंज की मां वैष्णवी एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। साथ ही बीएसए को भी निलंबित किया गया था। 

इसी क्रम में जिलाधिकारी देवेंद्र कुमार पांडेय की भूमिका की जांच मंडलायुक्त लखनऊ को सौंपी गई थी। मंडलायुक्त ने अब शासन को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें जिलाधिकारी को प्रथम दृष्टया दोषी माना है। कहा गया है कि डीएम ने कंपोजिट ग्रांट के क्रियान्वयन और उपभोग में अनियमितता की है।

डीएम की कलई खोलती रिपोर्ट

  • जिलास्तरीय कमेटी (जिलाधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी) ने कंपोजिट ग्रांट के तहत राज्य परियोजना कार्यालय से जारी कार्यों की सूची को बदलकर कुछ काम काट दिए।
  • शासन ने जो कार्य जरूरी बताए, उन्हें हटाकर सामान्य कार्य और वस्तुएं जोड़ दीं।
  • सारे स्कूलों के लिए अधिकांश सामग्री जौनपुर की फर्म मां वैष्णवी एजेंसी से ही बाजार दर से अधिक मूल्य पर खरीदी गई।
  • खरीदी गई वस्तुओं की गुणवत्ता खराब है और जौनपुर की फर्म का जीएसटी में पंजीयन भी नहीं है।
  • 20 सितंबर 2018 को सर्वशिक्षा अभियान कार्यालय से रकम जारी की गई, जो 15 अक्टूबर 2018 को जिले के स्कूलों के खातों में भेज दी गई। इसके बावजूद देर करते हुए जिला स्तर से सामग्री खरीद के लिए सूची 23 फरवरी 2019 को जारी की गई।

चार से पांच गुना अधिक कीमत पर खरीद

ग्रांट से स्कूलों को सप्लाई किए गए डस्टबिन, दीवार घड़ी, स्टील का छोटा तसला, स्केच पेन और पेंसिल आदि के लिए चार से पांच गुना कीमत का भुगतान किया गया था। विद्यालयों के नाम पर बनाये गए बिल से यह राजफाश हुआ। उदाहरण के तौर पर स्टील के कूड़ेदान की वास्तविक कीमत 400 से 550 रुपये थी, जबकि खरीद 1980 रुपये में की गई। इसी तरह दीवार घड़ी 637 रुपये में और स्टील का कटोरा 655 रुपये में खरीदा गया। 

विधान परिषद में भी उठा था मामला

उन्नाव में हुए कंपोजिट ग्रांट घोटाले का मामला बजट सत्र के दौरान विधान परिषद में समाजवादी पार्टी ने उठाया था। इस पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीशचंद्र द्विवेदी को सफाई देनी पड़ी कि तत्कालीन परियोजना निदेशक विजय किरन आनंद की जांच रिपोर्ट में जिलाधिकारी और बीएसए को जिम्मेदार माना गया था। द्विवेदी ने बताया कि बीएसए को निलंबित करने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से डीएम पर कार्रवाई का अनुरोध किया गया था, जिस पर योगी ने मंडलायुक्त को डीएम की भूमिका की जांच सौंपी थी।


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