भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम : हटाए गए बुलंदशहर के डीएम समेत दागी अफसर
समाजवादी पार्टी हुकूमत में खनन घोटाले में शामिल रहे अफसरों के आवास पर सीबीआइ छापे के बाद सरकार ने सभी दागी अफसरों को हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया है।
लखनऊ, जेएनएन। भ्रष्टाचार के खिलाफ नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ सरकार की मुहिम जारी है। समाजवादी पार्टी हुकूमत में खनन घोटाले में शामिल रहे अफसरों के आवास पर सीबीआइ छापे के बाद सरकार ने सभी दागी अफसरों को हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया है।
सरकार ने इन तीनों अफसरों से नाराजगी दिखाते हुए इन्हें कहीं तैनाती नहीं दी है। बुधवार की देर रात चार आइएएस अफसरों के तबादले किये गये। इनमे बुलंदशहर के डीएम को हटाकर उनकी जगह रविंद्र कुमार द्वितीय को तैनात किया गया है। कौशल विकास निदेशक विवेक और आजमगढ़ के सीडीओ डीएस उपाध्याय को भी हटाया गया है।
नाम - वर्तमान - नवीन तैनाती
1. अभय - डीएम, बुलंदशहर - प्रतीक्षारत।
2. रविंद्र कुमार द्वितीय - निदेशक, राज्य पोषण मिशन - डीएम, बुलंदशहर।
3. विवेक - निदेशक, कौशल विकास मिशन व निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवायोजन - प्रतीक्षारत।
4. देवी शरण उपाध्याय - सीडीओ, आजमगढ़ - प्रतीक्षारत।
एवरेस्ट विजेता हैं बुलंदशहर के नए जिलाधिकारी
सरकार ने बुलंदशहर में 2011 बैच के आइएएस अधिकारी रविंद्र कुमार द्वितीय को जिलाधिकारी तैनात किया है। बिहार के बेगूसराय में वर्ष 1981 में किसान परिवार में जन्मे रविंद्र ने कई श्रेष्ठ अकादमिक लक्ष्यों को हासिल किया है। वह एवरेस्ट विजेता हैं और पहले आइएएस हैं, जो वर्ष 2013 में पहले प्रयास में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ गए। इन्हें सिक्किम खेल रत्न अवॉर्ड, बिहार विशेष खेल सम्मान, कुश्ती रत्न सम्मान समेत अनेक पुरस्कार मिले हैं। वर्ष 2015 में अपने दूसरे अभियान के दौरान उन्होंने नेपाल के भूकंप एवं हिमस्खलन का सामना किया, जिसमें जान-माल की काफी क्षति हुई परंतु अपनी जान की परवाह किए बिना रविंद्र ने कई लोगों की जान बचाई। वह एक अच्छे तैराक और कराटे में ब्लैक बेल्ट रहे हैं।
मुख्य विकास अधिकारी, जिला अधिकारी और आयुक्त समेत कई अन्य पदों पर कार्य किया है। रविंद्र कुमार ने दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत (हिमालय की चोटी) माउंट एवरेस्ट से गंगा सफाई का संदेश दिया है। गंगाजल लेकर रविंद्र 23 मई को पर्वत की चोटी पर पहुंचे थे। वहां उन्होंने पवित्र जल चढ़ाया और गंगा के स्वच्छ होने की कामना की। वह पहले आइएएस अधिकारी हैं, जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़े हैं। वह एक बार चीन के रास्ते से माउंट एवरेस्ट गए और दूसरी बार नेपाल के रास्ते से गए। इससे वह उन चंद भारतीयों में शुमार हो गए हैं, जिन्होंने दोनों रास्तों से विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने में सफलता पाई।