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सात सौ परिवारों ने अपने पैसों से रोशन की कॉलोनी, बिजली लाने के लिए खर्च किए दो करोड़ से ज्यादा रकम Lucknow News

यूपी में लखनऊ का चिनहट डिवीजन स्क्वायर फीट योजना में आगे तीन दर्जन से अधिक कॉलोनी हो चुकी हैं अब तक रोशन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 10:42 AM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 08:43 AM (IST)
सात सौ परिवारों ने अपने पैसों से रोशन की कॉलोनी, बिजली लाने के लिए खर्च किए दो करोड़ से ज्यादा रकम Lucknow News
सात सौ परिवारों ने अपने पैसों से रोशन की कॉलोनी, बिजली लाने के लिए खर्च किए दो करोड़ से ज्यादा रकम Lucknow News

लखनऊ [अंशू दीक्षित]। बिजली महकमे द्वारा शुरू की गई स्क्वायर फीट योजना सात सौ से अधिक परिवारों को रोशन कर चुकी है। राजधानी का चिनहट डिवीजन यूपी का इकलौता डिवीजन बनकर उभरा है, जहां डेढ़ साल में 36 से अधिक कॉलोनियों को रोशन किया जा चुका है। चार कॉलोनियों में काम चल रहा है। इन परिवारों ने अपने घरों में बिजली लाने के लिए दो करोड़ दस लाख से अधिक रुपये भी खर्च किए। बाकी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में प्रदेश सरकार ने मदद की। 

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राजधानी में ऐसे तो 26 डिवीजन हैं, लेकिन अनाधिकृत कॉलोनियों में अधिकृत तरीके से बिजली पहुंचाने की शुरुआत तत्कालीन मुख्य अभियंता आशुतोष कुमार ने शुरू की थी, उन्हें उस समय यकीन नहीं था कि एक कॉलोनी से शुरू किया गया सफर आज 40 कॉलोनियों तक पहुंच जाएगा। सालों से भटक रहे लोगों के घरों में तब उजियारा हो गया, जब स्क्वायर फीट योजना शुरू की गई। योजना के तहत क्षेत्रफल के मुताबिक जमीन मालिक को 35 रुपये स्कवायर फीट के हिसाब से भुगतान करना होता था। क्योंकि अभियंताओं को साफ निर्देश थे कि पोल से चालीस मीटर दूर कनेक्शन न दिए जाए। चिनहट से तकरोही तक 36 छोटी बड़ी कॉलोनियों में रहने वाले 720 परिवारों ने पैसा जमा करके लाभ उठाया। 

इन कॉलोनियों में पहुंची बिजली 

छोटा भरवारा एसडीएन कॉलेज, बिजली खेड़ा, जगपाल खेड़ा, शिव नगर, लक्ष्मण पुरी जरहरा, शिवनगर, श्याम नगर, यशोदा नगर, जगदम्बा सिटी तकरोही, गोकुल नगरी, टाटा भट्टा, राम नगर, डूडा कालोनी फताह पुरवा, साईं विहार जरहरा, शगुन विहार, स्वर्ण विहार, त्रिदेव विहार, श्रीजी कॉलोनी, पूरन नगर, बसेरा विहार, आजाद नगर, विशाल इन्क्लेव, कंचन सिटी, जगदीशपुरम, शिव सिटी, मंसापुरम, तेरा खास सहित कई कालोनियां हैं।  

अधिशासी अभियंता चिनहट प्रेम चंद ने बताया कि तीन दर्जन कॉलोनियों विकसित हो चुकी हैं, चार में काम चल रहा है। योजना की जानकारी मिलने के बाद लोग स्वयं रुचि लेते हैं। 


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