मंदिर- मस्जिद मामले की नियमित सुनवाई पर मस्जिद के पक्षकारों में मतभेद
बाबरी मस्जिद के मुद्दई मरहूम हाशिम अंसारी के पुत्र एवं अदालत में बाबरी मस्जिद के पक्षकार मो. इकबाल ने मामले की सुनवाई जुलाई 2019 तक टाले जाने के औचित्य का समर्थन किया।
अयोध्या (जेएनएन)। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई के सवाल पर बाबरी मस्जिद के पैरोकारों में मतभेद उभर आया है। बाबरी मस्जिद के एक प्रमुख पक्षकार हाजी महबूब तो बुधवार के अपने रुख पर कायम रहे पर बाबरी मस्जिद के मुद्दई मरहूम हाशिम अंसारी के पुत्र एवं अदालत में बाबरी मस्जिद के पक्षकार मो. इकबाल तथा एक अन्य पक्षकार महफूजुर्रहमान के प्रतिनिधि खालिक अहमद खां ने मामले की सुनवाई जुलाई 2019 तक टाले जाने के औचित्य का समर्थन किया।
हाजी महबूब ने बुधवार को मंदिर-मस्जिद विवाद की सुनवाई जुलाई 2019 तक टालने संबंधी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की सुप्रीम कोर्ट में पेश दलील से असहमति जताई थी। हालांकि उन्होंने सिब्बल का नाम नहीं लिया था पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सिब्बल की दलील के विपरीत उन्होंने कहा था, वे जल्द से जल्द मसले का समाधान चाहते हैं और पूर्व से ही इस कोशिश में लगे हुए हैं। गुरुवार को 'दैनिक जागरण से बातचीत में हाजी महबूब ने कहा, मैं अपने बयान पर कायम हूं और सवाल उठाया कि जल्द से जल्द न्याय मिले, इसमें बुराई क्या है।
उन्होंने यह भी कहा, मैं लड़ाई नहीं न्याय चाहता हूं और यह जितनी जल्दी मिले, उतना ही अच्छा है। ...तो मो. इकबाल ने कहा, कपिल सिब्बल सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के 11 अधिवक्ताओं में से एक हैं और अदालत में उन्होंने जो दलील दी है, वह ठीक है। उन्होंने कहा, वास्तविक न्याय के लिए मंदिर-मस्जिद विवाद को चुनावी नफे-नुकसान से दूर रखने का प्रयास सभी को करना होगा। खालिक अहमद खान मस्जिद के पक्षकार की नुमाइंदगी करने के साथ हेलाल कमेटी के संयोजक हैं। उनका मानना है कि मंदिर-मस्जिद विवाद का हल ऐसे समय में आना ठीक होगा, जब देश में सेक्युलर सरकार हो।