18 साल पहले भी अखाड़ा बन चुका है नगर निगम सदन, जब माइक खराब होने पर आपस में भिड़ गए थे पार्षद
11 अगस्त को नगर निगम सदन में पार्षदों के बीच हुई थी गर्मागर्मी, अफसर पर हुआ था हमला।
लखनऊ[अजय श्रीवास्तव]। यह पहला मामला नहीं है, जब पार्षदों और अधिकारियों में भिड़ंत हुई हो। रामप्रकाश गुप्ता सरकार में तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी सीपी मिश्र के खिलाफ पार्षदों को मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करना पड़ गया था। तब भी सदन में भाजपा के एक पार्षद ने एक अधिकारी के साथ अभद्रता और मारपीट की थी। तब मुख्य नगर अधिकारी ने सदन के बहिष्कार की घोषणा कर दी थी और सारे अधिकारी सदन से बाहर आ गए थे। मेयर डॉ. एससी राय (अब दिवंगत) इतना कुपित हुए कि उन्होंने मुख्य नगर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की माग रख दी।
यह घटना बीस मई 2000 की थी। नगर निगम (तब नगर महापालिका) सदन की कार्यवाही चल रही थी और कुछ देर में ही सदन अखाड़ा बन गया था। अचानक माइक सिस्टम खराब होने पर पार्षदों ने हंगामा कर दिया था और व्यवस्था देखने वाले अधिकारी से धक्का-मुक्की कर दी थी। विवाद इतना बढ़ा था कि एक अधिकारी ने मेयर डॉ.एससी राय पर पार्षदों को संरक्षण देने का आरोप मढ़ दिया था। इससे माहौल गर्म हो गया था और सदन में अधिकारी कर्मचारी और पार्षद आमने-सामने आ गए थे। इस माहौल पर तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी सीपी मिश्र भी अपना गुस्सा रोक नहीं पाए थे और उन्होंने मेयर से अभद्रता करने वाले पार्षदों पर कार्रवाई करने की माग की और चेतावनी दे डाली कि अगर कार्रवाई नहीं होगी तो वह सदन का बहिष्कार कर देंगे। मिश्र ने अपनी नाराजगी तत्कालीन मेयर स्व. डॉ. एससी राय से कुछ इस तरह से जताई थी कि पार्षद और भी नाराज हो गए थे और इसे सदन की गरिमा के विपरीत बताते हुए हंगामा करने लगे थे। डॉ.राय भी अपने को रोक नहीं पाए थे इसी दौरान मुख्य नगर अधिकारी और अन्य अधिकारी सदन का बहिष्कार कर चले गए थे। नगर निगम मुख्यालय छावनी बन गया था। मेयर समेत सारे पार्षद सीएम आवास की तरफ कूच कर गए थे और वापस तब आए जब मुख्यमंत्री ने तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी सीपी मिश्र व उप मुख्य नगर अधिकारी रेखा गुप्ता का तबादला कर दिया गया था। डीएम संजय अग्रवाल को चार्ज दे दिया गया था। छह दिन बाद प्रमोद बाथम को मुख्य नगर अधिकारी और उप मुख्य नगर अधिकारी के पद पर एसके सिंह की तैनाती की गई थी।
पार्षद-अधिकारी गले मिले, सदन की घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण : शनिवार रात यानी 11 अगस्त तनावपूर्ण माहौल में एक दूसरे पर आरोप लगाने वाले पार्षद रामकृष्ण यादव, राजेश मालवीय और जोनल अधिकारी एक मुनेंद्र सिंह राठौर रविवार शाम एक दूसरे से गले मिल लिए और घटना के लिए एक-दूसरे से माफी मागते हुए मिठाई खिलाई। दोनों पक्षों को मिलाने और सौहार्द्रपूर्ण कार्य करने की पहल नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने की। शनिवार को विवाद इतना बढ़ा था कि जोनल अधिकारी की पार्षद ने पिटाई कर दी थी। रविवार यानी 12 अगस्त को शाम छह बजे नगर आयुक्त के गोमतीनगर कैंप कार्यालय में जोनल अधिकारी मुनेंद्र सिंह राठौर के अलावा सभी जोनल अधिकारी, पार्षद रामकृष्ण यादव, राजेश मालवीय, रमेश कपूर बाबा, अरुण तिवारी, राजेश सिंह गब्बर के अलावा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शशि मिश्र, आनंद वर्मा, राजेश सिंह महामंत्री गोमती त्रिवेदी और कैसर रजा भी मौजूद थे। इससे पहले दोपहर दो बजे नगर आयुक्त ने कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर वार्ता की। कर्मचारी नेताओं ने अधिकारी की पिटाई पर नाराजगी जताई और सोमवार से आदोलन करने की चेतावनी दी। नगर आयुक्त के समझाने पर कर्मचारी नेता मान गए और फिर शाम को पार्षदों के साथ बैठक कराई गई। पार्षदों से कहा गया कि पिटाई से नगर निगम अधिकारी के चोट आई, इससे नाराजगी है। उधर, मेयर ने कहा कि नगर निगम एक परिवार है और किसी में कोई मतभेद नहीं है। पार्षद और अधिकारी विकास के दो पहिए हैं। गलत आचरण बन रही वजह :
शनिवार की घटना ने नगर निगम में पार्षदों व अधिकारियों के बीच कटुता बढ़ा दी है। सदन में जिस समय मुख्य अभियंता (सिविल) एसपी सिंह को माफी मागने के लिए पटल पर खड़ा होना पड़ा तो एक जोनल अधिकारी को यह अच्छा नहीं लगा और वह दात पीस कर रह गए। अधिकारियों का कहना है कि जो पार्षद अधिकारियों पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हैं, उन्हें भी अपनी गिरेबान में झाकना चाहिए। एक अधिकारी ने तो यहा तक कहा कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वह दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं चलाते हैं।
सीढि़यों पर हुई थी बहस:
दिन भर सदन में हंगामे के बाद जब जोनल अधिकारी-एक मुनेंद्र सिंह राठौर सीढ़ी से उतर रहे थे तो उनकी भाजपा पार्षद दल के नेता रामकृष्ण यादव से बहस हो गई। इसी दौरान सीढ़ी पर पीछे चल रहे पार्षद राजेश मालवीय पर आरोप था कि उन्होंने जोनल अधिकारी को थप्पड़ मार दिया था। यह आरोप भी जोनल अधिकारी ने लगाया वहीं राजेश मालवीय का कहना था कि राठौर ने रामकृष्ण का कालर पकड़ लिया तो उन्होंने पीछे से राठौर को पकड़ा था। कुछ पार्षदों की सभी करते हैं निंदा:
यह भी सही है कि पार्षदों पर जनता का दवाब रहता है और विकास न होने पर उन्हें जनता की सुननी पड़ती है, लेकिन कुछ पार्षदों का सदन में आचरण इतना खराब रहता है कि हर कोई उसकी निंदा करता है। पहले भी एक पार्षद संतोष कुमार राय ने जलकल महाप्रबंधक को जूते से पीटने की बात सदन में कही थी तो शनिवार को पार्षद मनोज अवस्थी ने यही बात अधिशासी अभियंता एसके जैन पर दोहरा दी। वैसे सदन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ पार्षदों में नागेंद्र सिंह चौहान, गिरीश मिश्र, रमेश कपूर बाबा, अरुण तिवारी, सै. यावर हुसैन रेशू, ममता चौधरी समेत अन्य अपनी बात को गरिमापूर्ण तरीके से जोर-शोर से उठाते हैं।
भाजपा ने उजागर कर दी पक्ष-पिक्ष की मानसिकता:
सपा पार्षद दल के नेता सै.यावर हुसैन रेशू ने कहाकि भाजपा पार्षदों ने समर्थन मागा था और उन लोगों ने कहा कि वह पार्षदों के साथ हैं, लेकिन गुपचुप तरह से समझौता करना भाजपा पार्षदों की मंशा पर सवाल उठाती है। काग्रेस पार्षद गिरीश मिश्र का कहना है कि सदन में भाजपा ने विपक्ष से सहयोग मागा था लेकिन गुपचुप तरीके से समझौता करके भाजपा ने पक्ष-विपक्ष की मानसिकता को उजागर कर दिया।