मानवाधिकारी दिवस विशेष: भेदभाव यानी हो रहा आपके अधिकारों का हनन, तोड़ें चुप्पी और..मांगें अधिकार Lucknow News
लखनऊ पुलिस नहीं कर सकती मनमानी गिरफ्तारी। निजता में दखल यातना मनमानी गिरफ्तारी के खिलाफ उठाएं आवाज।
लखनऊ [ज्ञान बिहारी मिश्र]। अस्पताल में दवाई लेने जाते हैं कोई सुनता नहीं, कलेक्ट्रेट में लंबे समय से काम लटका रहता है, पुलिस बेवजह परेशान करती है, काम के बदले रिश्वत मांगना आम है, धोखाधड़ी रुक नहीं रही, ट्रेनों-बसों में टिकट के बावजूद सीट नहीं मिलती, खाने के लिए गैस समय पर नहीं पहुंच पाती..बगैरह-वगैरह। चंद उदाहरण हैं, ये। लिखने बैठेंगे तो अंबार लग जाएगा। आलम भी यह तब है, जब देश के संविधान ने हर शख्स को मौलिक अधिकार दिए हैं।
मानवाधिकार की दुहाई दी जाती है लेकिन, हकीकत की स्याह तस्वीर किसी से छिपी नहीं है। आप सोचेंगे, अचानक यह जिक्र क्यों? वो इसलिए क्योंकि 10 दिसंबर को मानवाधिकारी दिवस है। अधिकारों का जश्न मनाने का दिन, उन्हें महसूस करने, जीने का दिन। कोशिश कुछ नया जानने की, सोचने की, मनन करने की। इसीलिए के मद्देनजर दैनिक जागरण चार दिन तक आपको बताएगा, जगाएगा.. आखिर क्या हैं छोटे-छोटे मगर, जरूरत के लिहाज से मोटे अधिकार। उन्हें कैसे पाएं, न मिलें तो कहां गुहार लगाएं।
इसलिए मनाया जाता है यह दिन
इंसानी अधिकारों को पहचान देने और उसके हक की लड़ाई को ताकत देने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाते हैं। मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्म रोकने और उसके खिलाफ आवाज उठाने में इस दिन का खास महत्व है।
83 शिकायतें राष्ट्रीय आयोग से आईं
राजधानी में पुलिस कार्यालय स्थित मानवाधिकार सेल में इस वर्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से करीब 83 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें 68 का निस्तारण कर दिया गया है, जबकि 15 शेष हैं।
885 शिकायतें राज्य आयोग में हुईं
राज्य मानवाधिकार आयोग की ओर से अब तक कुल 885 शिकायतें मिली हैं, जिनमें 779 का निस्तारण हुआ है। 108 मामले शेष हैं।
अधिकार के मामले में स्वतंत्रता
संविधान ने देश के हर व्यक्ति को गरिमा और अधिकार के मामले में स्वतंत्रता, बराबरी का अधिकार दिया है। कोई भी व्यक्ति आपके नस्ल, रंग, लिंग, धर्म, राजनीतिक, राष्ट्रीयता, सामाजिक उत्पति व संपत्ति के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। हर व्यक्ति को दासता और गुलामी से आजादी का अधिकार प्राप्त है।
प्रताड़ित नहीं कर सकता कोई
अगर आपको कोई संस्था, विभाग या फिर कोई व्यक्ति प्रताड़ित कर रहा है तो आपके अधिकारों का हनन है। नियम के मुताबिक, कोई भी आपको यातना नहीं दे सकता और न ही क्रूर व्यवहार कर सकता है। यही नहीं पुलिस भी किसी की मनमानी गिरफ्तारी, हिरासत, नजरबंद या फिर निष्कासन नहीं कर सकती। पुलिसकर्मी आपके साथ ऐसा करते हैं तो वह आपके अधिकारों का हनन है।
..ताकि बरकरार रहे परिवार की निजता
कानून ने घर-परिवार और पत्रचार में निजता का अधिकार हर शख्स को प्रदान किया है। आपके पत्र के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं कर सकता। अगर घर में अथवा परिवार की निजता में कोई दखल दे रहा है तो आप उसके खिलाफ मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराएं।
चुप्पी तोड़ें, ऑनलाइन दर्ज कराएं शिकायत
बेशक, संविधान ने अधिकार बेशुमार दिए मगर उनका पालन हम सभी के लिए सपना है। सिस्टम हमारी सुनती नहीं और खुद भी हम चुप्पी साधे रहते हैं। लिहाजा, अब वक्त आ गया है कि चुप्पी तोड़ें। जहां और जब भी आपके अधिकारों का हनन हो राष्ट्रीय अथवा राज्य मानवाधिकार आयोग में डाक, फैक्स के अलावा ऑनलाइन शिकायतें दर्ज कराएं। हंिदूी, अंग्रेजी उर्दू अथवा देश के संविधान की आठवीं सूची में शामिल किसी भी भाषा में स्पष्ट लिखकर यह शिकायत भेजें। कोई शुल्क नहीं देना होता है। शिकायत में अपना नाम, डाक पता, घटनास्थल, घटना की तारीख, अवधि व विवरण दर्ज करें। साथ ही जिस व्यक्ति अथवा विभाग के खिलाफ मानवाधिकार हनन की शिकायत कर रहे हैं, उसके और आयोग से मांगी गई मदद का ब्यौरा लिखकर भेज दें।
यह भी जानें
इंसाफ या बचाव में अदालत का दरवाजा खटखटाने, दोषी सिद्ध न होने तक निदरेष होने, राष्ट्रीयता, शादी कर परिवार बढ़ाने, विचार, विवेक व धर्म को अपनाने तथा संगठन बनाकर सभा करने का अधिकार हर किसी को है। सभी को सामाजिक सुरक्षा, काम करने की मुनासिब अवधि, सवैतनिक छुट्टियों, शिक्षा, समानता, देश में भ्रमण व दूसरे देश में जाने का अधिकार है।
इन मामलों में नहीं होती सुनवाई
आयोग एक वर्ष पुराने, विचाराधीन, मामूली, अस्पष्ट, गुमनाम व काल्पनिक तथा परिक्षेत्र के बाहर के मामलों की सुनवाई नहीं करता। आयोग जांच के दौरान संबंधित विभाग से जानकारी एकत्र करता है। इस दौरान अगर आरोपित के खिलाफ सरकार अथवा उसके विभाग की ओर से कार्रवाई कर दी जाती है तो आयोग की ओर से इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। शिकायतकर्ता को सूचित कर दिया जाता है।