आंगनबाड़ी मुद्दे पर यूपी विधानसभा में हंगामा, विपक्ष का बहिर्गमन
उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज आंगनबाड़ी सहायिकाओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर हंगामा हुआ। नाराज विपक्ष ने बहिर्गमन किया।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने और मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर हंगामा हुआ। सरकार के इन्कार से नाराज सपा, बसपा व कांग्रेस सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
कांग्रेस की अदिति सिंह के प्रश्न पर बाल विकास व पुष्टाहार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल ने बताया कि केंद्र सरकार के नियंत्रणाधीन परियोजना में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की सेवाएं मानदेय आधारित है। इन्हें राज्य कर्मचारी दर्जा देने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इनका मानदेय वृद्धि व सेवा शर्ते सुधारने को कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन तीन मई, 2017 को किया गया। कमेटी की रिपोर्ट आने पर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय होगा। मंत्री ने कहा कि विभिन्न विभागों में 31 दिसंबर, 2001 तक नियुक्त दैनिक वेतन व संविदा कर्मियों का विनियमितीकरण करने से संबंधित वित्त विभाग के शासनादेश 24 फरवरी, 2016 से आच्छादित न होने से विनियमितीकरण पर विचार नहीं किया जा सकता है।
इस पर कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय इतना कम है कि उस पर जीवन यापन संभव नहीं और इनसे सर्वाधिक काम लिया जाता है। उन्होंने कहा कि मानदेय में विनियमित करने का प्रस्ताव सदन में पारित किया जाए ताकि एक लाख 73 हजार से अधिक परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधर सकें। मंत्री ने असमर्थता जताई तो कांग्रेस के साथ सपा-बसपा सदस्यों ने भी हंगामा शुरू कर दिया। नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकारें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लेकर गंभीर नहीं रही, इसी कारण लगातार आंदोलन करने के बावजूद न्याय नहीं हो पा रहा है। बसपा के लालजी वर्मा ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लेकर भाजपा के संकल्पपत्र की याद दिलाते हुए कार्रवाई की मांग की परंतु सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं आने के कारण कांग्रेस, सपा और बसपा ने नारेबाजी करते हुए एक-एक कर सदन से बहिर्गमन किया।
महिला विधायक को अतिरिक्त गनर नहीं
बसपा की सुषमा पटेल के प्रश्न पर सरकार ने महिला विधायकों को एक गनर अतिरिक्त देने से इन्कार किया क्योंकि इस बारे में उच्च न्यायलय के निर्देश पर नीति निर्धारित की गई थी।