ध्वस्त कानून व्यवस्था और चौपट फसल पर विधानसभा में हंगामा
बेमौसम बारिश और उपलवृष्टि से फसलों को नुकसान के मुद्दे पर विपक्ष ने आज विधानसभा में खूब हंगामा किया। कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी राज्य सरकार पर निकम्मेपन का आरोप लगा और नारेबाजी की गई। भाजपा और बसपा ने इन मामलों को लेकर बहिर्गमन किया।
लखनऊ। बेमौसम बारिश और उपलवृष्टि से फसलों को नुकसान के मुद्दे पर विपक्ष ने आज विधानसभा में खूब हंगामा किया। कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी राज्य सरकार पर निकम्मेपन का आरोप लगा और नारेबाजी की गई। भाजपा और बसपा ने इन मामलों को लेकर बहिर्गमन किया।
आज सुबह प्रश्नकाल में विपक्ष के नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य, भाजपा विधान मंडल दलनेता सुरेश खन्ना, कांग्रेस के प्रदीप माथुर व रालोद के दलवीर सिंह अपने स्थानों पर खड़े होकर प्रश्नकाल को स्थगित करके कानून व्यवस्था और मौसम की मार से बेहाल किसानों की समस्याओं पर चर्चा कराने की मांग करने लगे। बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना था कि केवल होली के दिन 33 से अधिक हत्याएं व कई स्थानों पर सांप्रदायिक तनाव के हालात उत्पन्न होना सपा सरकार की विफलता को दर्शाता है। मौर्य के साथ बसपा के अन्य सदस्य भी शोरशराबा करने लगे। उधर भाजपा के सुरेश खन्ना, डा. राधा मोहन दास, सतीश महाना, लक्ष्मीकांत वाजपेयी, लोकेंद्र सिंह, कृष्णा पासवान व रामचंद्र यादव आदि ने किसानों के नुकसान की भरपाई न होने की चिंता जतायी। बसपा का हंगामा बढ़ता देख भाजपा सदस्य वेल में पहुंच सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। उनका कहना था कि तीन मार्च को सदन में सरकार द्वारा आश्वासन देने के बावजूद किसानों को कोई राहत नहीं मिली। बसपा और भाजपा के साथ कांग्रेस एवं रालोद ने भी सरकार पर बरसना शुरू किया।
विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय ने माहौल शांत कराने की कोशिशें की परन्तु विपक्ष मानने को तैयार नहीं दिख रहा था। आक्रोशित बसपा सदस्यों ने बहिर्गमन कर गुस्से का इजहार किया, भाजपा सदस्य वेल में धरना देकर बैठ गए। कांग्रेस के प्रदीप माथुर, अजय कुमार लल्लू व अनुग्रह नारायण सिंह और रालोद के दलवीर सिंह एवं पूरन प्रकाश अपनी सीटों से ही सरकार पर निशाना साधते रहे।
'किसानों की फिक्र तो भूमि अधिग्रहण बिल का करें विरोधÓ
माहौल उस वक्त उत्तेजनापूर्ण हो गया जब संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने भाजपा पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए लोकसभा में आने वाले भूमि अधिग्रहण बिल के बारे में राय देने का सवाल उछाला। कहा कि प्रदेश भाजपा को किसानों को इतनी फिक्र है तो बिल के विरोध में प्रस्ताव पारित कर भेज दें। इस पर भाजपा नेता सतीश महाना, सुरेश खन्ना, लक्ष्मीकांत वाजपेयी की आजम खां से नोकझोंक होने लगी। आजम ने जहां किसानों की जमीन छीनने के आरोप लगाए जबकि भाजपा सदस्यों का कहना था सपा का एजेंडा किसानों को बर्बाद करने का है। इस आरोप-प्रत्यारोप को अध्यक्ष माता प्रसाद ने कार्यवाही में दर्ज नहीं कराने की बात कहते हुए किसानों व कानून व्यवस्था की समस्या नियम 56 के तहत सुनने का आश्वासन दिया। करीब 15 मिनट चले हंगामे के बाद ही प्रश्नकाल शुरू हो सका।
रिपोर्ट एवं मानकों पर विचार करेंगे :
कार्यस्थगन प्रस्ताव लाते समय एक बार फिर से हंगामे के हालात उत्पन्न हुए। भाजपा के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए सभी विपक्षी एक स्वर में बोलते नजर आए। भाजपा के सुरेश खन्ना ने फसलें चौपट हो जाने से नौ किसानों की असामयिक मौत होने की जानकारी दी। तहसीलों से फसलों के नुकसान की आकलन रिपोर्ट पर प्रश्न उठाया। राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि 50 प्रतिशत नुकसान होने पर राहत देने का मानक उचित नहीं। इससे कोई भी किसान राहत नहीं पा सकेगा। उन्होंने जिलों से आयी रिपोर्ट को घर बैठकर तैयार करा देने का आरोप भी लगाया। रालोद के दलवीर सिंह और पूरन प्रकाश ने गेहूं की फसल गिर जाने से मजदूरी में 25 प्रतिशत अधिक खर्च होने का दावा किया। लक्ष्मीकांत वाजपेयी व बसपा के धर्मपाल सिंह ने किसानों का कर्ज माफ करने का मुद्दा उठाया। संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने किसान हित में सरकारी रिपोर्ट और राहत मानकों पर विचार करने का मानवीय आधार पर आश्वासन दिया। उन्होंने इस बाबत केंद्र सरकार को भी पत्र लिखने की बात कही लेकिन उत्तर से खफा भाजपा सदस्य नारेबाजी करते हुए बहिर्गमन कर गए।
वेल में आए बसपा सदस्य:
शून्य प्रहर में कानून व्यवस्था पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट बसपा के सदस्य वेल में आ गए। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य से बसपा सदस्यों को वापस बुलाने के लिए कहने पर वे वापस कुर्सियों पर पहुंच गए। इससे पूर्व में मौर्य ने आरोप लगाया कि सपा के संरक्षण में गुंडाराज कायम है। संसदीय कार्यमंत्री स्वयं कह चुके हैं कि अब तक पुलिसकर्मियों पर 622 हमले हो चुके हैं। उन्होंने इलाहाबाद में पूर्व सभासद शांतिदेवी के हत्यारों की गिरफ्तारी न होने की बात कहते हुए आरोप लगाया कि हत्यारों को सत्तारूढ़ दल का संरक्षण प्राप्त है। कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा कि प्रदेश में दारोगा राज है। पुलिस अभिरक्षा में हत्याएं हो रही हैं। पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अंबिका चौधरी ने कहा कि प्रदेश को अपराध शून्य बताने की कोई तिथि निर्धारित करना संभव नहीं है।