डिंपल यादव और जयंत चौधरी में से भी कोई एक जाएगा राज्यसभा, सपा में हो रहा तीसरे प्रत्याशी पर मंथन
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के कोटे की 11 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। सपा गठबंधन की 125 सीटें हैं। संख्या बल के हिसाब से समाजवादी पार्टी तीन प्रत्याशी राज्यसभा भेज सकती है। वहीं कपिल सिब्बल को समर्थन देकर अखिलेश यादव ने बड़ा दांव चला है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से राज्यसभा के लिए बुधवार को कपिल सिब्बल व जावेद अली खान ने नामांकन कर दिया है। तीसरे प्रत्याशी के नाम पर अंतिम दौर का मंथन चल रहा है। सपा राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी या डिंपल यादव में से एक को राज्यसभा भेजेगी।
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के कोटे की 11 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। सपा गठबंधन की 125 सीटें हैं। संख्या बल के हिसाब से सपा अपने तीन प्रत्याशी राज्यसभा भेज सकती है। बुधवार को सपा की ओर से कपिल सिब्बल व जावेद अली के नाम फाइन हो गए। दोनों ने नामांकन भी कर दिया। तीसरे प्रत्याशी को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी सपा के साथ गठबंधन में शामिल हैं। राज्यसभा की एक सीट उन्हें देने की बात पहले से तय थी। चूंकि कपिल सिब्बल निर्दलीय प्रत्याशी हैं जिन्हें सपा अपना समर्थन दे रही है, ऐसे में जयंत चौधरी भी निर्दलीय खड़े हुए तो भाजपा भी आठ के बजाय नवां प्रत्याशी निर्दलीय उतार सकती है।
चुनाव मैदान में कपिल सिब्बल, जयंत चौधरी सहित तीन निर्दलीय प्रत्याशी हो जाएंगे। इस स्थिति में सपा का अपने विधायकों के लिए जारी होने वाला व्हिप भी काम नहीं आएगा। इसलिए जयंत चौधरी को सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने के लिए राजी किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार रालोद के कुछ विधायकों ने बुधवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात भी की।
जयंत चौधरी के सामने दिक्कत यह है कि वह रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ऐसे में वह सपा के सिंबल पर राज्यसभा सदस्य बनते हैं तो इसका गलत संदेश भी जा सकता है। हालांकि, सपा जयंत चौधरी को शिवपाल सिंह यादव व पल्लवी पटेल का उदाहरण दे रही है। शिवपाल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं जबकि सदन में विधायक सपा के हैं। इन सबके बावजूद अगर जयंत चौधरी राजी नहीं होते हैं तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को तीसरे प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारेंगे। पार्टी ने डिंपल के नामांकन पत्र भरवाने की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
पहले भी सपा से राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं जावेद : जावेद अली खान पहले भी वर्ष 2014 से 2020 तक सपा से राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। 31 अक्टूबर, 1962 को उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जन्मे जावेद अली जामिया मिलिया इस्लामिया से छात्रसंघ के महासचिव भी रह चुके हैं।
अखिलेश ने राज्यसभा की तीन सीटों में से एक सीट जावेद को देकर अल्पसंख्यक समुदाय को साधने की कोशिश की है। जावेद रामगोपाल यादव के करीबी हैं। सपा से जुड़ने के बाद पार्टी ने इन्हें 2005 में मुरादाबाद का जिलाध्यक्ष बनाया था। वह 2007 के विधानसभा चुनाव में ठाकुरद्वारा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं। वर्तमान में जावेद अली खान सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हैं।
कपिल सिब्बल को समर्थन देकर अखिलेश ने चला बड़ा दांव : अखिलेश यादव ने कपिल सिब्बल को समर्थन देकर बड़ा दांव चला है। इस कदम से एक तरफ आजम खां की नाराजगी दूर होगी साथ ही मुस्लिम समुदाय के बीच भी बड़ा संदेश जाएगा। कपिल सिब्बल की बड़े मुस्लिम नेताओं के बीच स्वीकार्यता इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने तीन तलाक, सीएए, एनआरसी व हिजाब जैसे मुस्लिम समाज से जुड़े मसलों में पैरवी की थी।
तीन तलाक के मसले पर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की तरफ से कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में मोर्चा संभाला था। इसके अलावा कपिल सिब्बल के आने से सपा को भी एक बड़ा अधिवक्ता मिल गया है। पार्टी को कोई दिक्कत आती है तो कानूनी मोर्चे पर कपिल सिब्बल संभाल लेंगे।