यहां तो नगर निगम के डीजल से नहीं निकलता है धुआं
अपर नगर आयुक्त ने पूछा, चौबीस घंटे बिजली आ रही तो जनरेटर कब चल रहा है। बिजली विभाग की रिपोर्ट के बाद ही दिया जाएगा डीजल । कागजों में दिखाई जा रही है कई हजार लीटर की खपत।
लखनऊ, जेएनएन। सरकार कह रही है कि लखनऊ शहर में 24 घंटे बिजली दी जा रही है और यह हकीकत भी है लेकिन, नगर निगम में डीजल चोरी करने के लिए कागजों में जनरेटर चलाया जा रहा है। अमीनाबाद भूमिगत पार्किंग में भी जनरेटर चलाने के नाम पर हर सप्ताह 160 लीटर तेल की खपत दिखाई जाती थी। अगले माह तेल की मंजूरी के लिए फाइल मंगलवार को अपर नगर आयुक्त डॉ. अनिल कुमार मिश्र के पास पहुंची तो वह भड़क गए। फाइल लेकर कर्मचारियों से कहा कि जब बिजली जा नहीं रही है तो तेल की खपत कैसे हो रही है।
उन्होंने कहा कि अब किसी भी जनरेटर को तेल नहीं दिया जाएगा। अगर जनरेटर चलाया गया है तो संबंधित बिजली उपकेंद्र से यह रिपोर्ट लगाई जाए कि बिजली आपूर्ति कितने बजे से कितने बजे तक बाधित रही। फिर उस समय सीमा का आंकलन कर ही डीजल दिया जाएगा। दरअसल, नगर निगम में सभी जोनल कार्यालयों, मुख्यालय व अन्य जगह जनरेटर के नाम पर कागजों में ही डीजल की खपत दिखाई जा रही थी और कर्मचारी यह डीजल बेच देते थे। अपर नगर आयुक्त डॉ. अनिल कुमार मिश्र का कहना है कि एक तरफ 24 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है तो दूसरी तरफ नगर निगम के कर्मचारी जनरेटर चलाने के नाम पर हर सप्ताह डेढ़ सौ से दो सौ लीटर (एक जनरेटर पर) खर्च दिखाया जा रहा है, जबकि एक दर्जन से अधिक जनरेटर नगर निगम के पास है।
जीपीएस डिवाइस लगाने के बाद भी नहीं सुधरी हालत
कूड़ा उठाने वाले वाहनों में तेल चोरी रोकने और समय पर कूड़ा उठाने की योजना को ठीक करने की योजना पटरी से उतर गई है। जीपीएस डिवाइस लगने के बाद भी तेल की खपत कम नहीं हो रही है, वहीं पर्याप्त कूड़ा भी नहीं उठ पा रहा है। अब नगर निगम जीपीएस की नई तकनीक का सहारा लेने जा रहा है, जिससे वाहनों से हो रहे तेल चोरी को रोका जा सके। नगर निगम में करीब साढ़े चार सौ वाहनों में जीपीएस लगाया गया था, लेकिन कूड़ा प्रबंधन का काम देखने वाली नगर निगम की टीम जीपीएस पर भारी पड़ी और तेल की चोरी कम नहीं हो पाई। अपर नगर अयुक्त अमित कुमार कहते हैं कि मौजूदा समय लगे जीपीएस से संतोषजनक रिपोर्ट नहीं मिल रही है। वाहनों की लोकेशन सही नहीं मिल रही है। नई तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे वाहनों पर खर्च हो रहे तेल की गड़बड़ी को रोका जा सके।