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ज्योतिषपीठाधीश्वर कौन? संगम तट पर मठ मछली बंदर कैंप में धर्म सम्मेलन

आखिर ज्योतिषपीठाधीश्वर कौन? हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद प्रश्न अनिर्णित ही है। धर्मगुरुओं में सामंजस्य न होने से विवाद का पटाक्षेप होता नजर नहीं आ रहा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 23 Dec 2017 07:14 PM (IST)Updated: Sat, 23 Dec 2017 07:24 PM (IST)
ज्योतिषपीठाधीश्वर कौन? संगम तट पर मठ मछली बंदर कैंप में धर्म सम्मेलन
ज्योतिषपीठाधीश्वर कौन? संगम तट पर मठ मछली बंदर कैंप में धर्म सम्मेलन

इलाहाबाद (जेएनएन)। ज्योतिषपीठ का पीठाधीश्वर कौन? हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद यह प्रश्न अभी भी अनिर्णित ही है। धर्मगुरुओं में सामंजस्य न होने से विवाद का पटाक्षेप होता नजर नहीं आ रहा। यह विवाद प्रयाग में लगने वाले माघ मेले में भी गर्मी का सबब बनेगा। दंडी संन्यासी बीच का रास्ता निकालने का प्रयत्न कर रहे हैं, लेकिन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को दोबारा ज्योतिषपीठ का पीठाधीश्वर बनाने पर उनको एतराज भी है। भारत धर्म महामंडल के एक धड़े द्वारा ज्योतिषपीठ पीठाधीश्वर के रूप में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को पुन: विराजमान किया जा चुका है। दंडी संन्यासी इसे सनातन धर्म की परंपरा, महाम्नाय महानुशासन के निर्देश एवं हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध बता रहे हैं।

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चारों पीठ के शंकराचार्य आमंत्रित 

शंकराचार्य विवाद को लेकर माघ मेला क्षेत्र में गंगोली शिवालय मार्ग स्थित मठ मछली बंदर शिविर में 18 जनवरी को धर्म सम्मेलनआहूत किया गया है। इसमें चारों पीठ के शंकराचार्य व संतों को आमंत्रित किया गया है। कहा जा रहा है कि ज्योतिष पीठ का पीठाधीश्वर आदि शंकराचार्य के निर्देशों व कोर्ट के आदेशानुसार नियमानुसार बने, ऐसी पहल होगी। आपसी सामंजस्य से विवाद का पटाक्षेप करने का प्रयत्न किया जाएगा। इसी आयोजन में स्वयंभू शंकराचार्यों पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी पारित किए जाने की उम्मीद है। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम कहते हैं कि हम स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का हृदय से सम्मान करते हैं, परंतु ज्योतिष पीठ के रूप में उनका दोबारा अभिषेक उचित नहीं। यह धर्म, नियम व कानून के विरुद्ध है।

यह है मामला 

ज्योतिषपीठ विवाद की सुनवाई पूरी होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 सितंबर को निर्णय दिया था। कोर्ट ने ज्योतिषपीठ के पीठाधीश्वर के रूप में स्वामी स्वरूपानंद व स्वामी वासुदेवानंद का दावा खारिज करते हुए तीन माह के अंदर अखिल भारत धर्म महामंडल, काशी विद्वत परिषद व तीनों पीठ के शंकराचार्यों की मदद से योग्य ब्राह्मण संन्यासी को शंकराचार्य पद पर आसीन करने का आदेश दिया था। भारत धर्म महामंडल भी इस मसले पर दो फांक है। एक धड़ा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का पिछले दिनों पीठाधीश्वर के रूप में अभिषेक कर चुका है।


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