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    थानें सुधारें अपनी कार्यशैली: डीजीपी सुलखान सिंह

    By amal chowdhuryEdited By:
    Updated: Wed, 03 May 2017 08:39 AM (IST)

    पत्र में उन्होंने लिखा है कि जब तक थानों की कार्यशैली में सुधार नहीं होगा तब तक आदर्श पुलिसिंग को यथार्थ के धरातल पर नहीं उतारा जा सकता।

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    थानें सुधारें अपनी कार्यशैली: डीजीपी सुलखान सिंह

    लखनऊ (जेएनएन)। डीजीपी सुलखान सिंह ने थानों की कार्यशैली सुधारने की जरूरत जताई है। राज्य के पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को लिखे पत्र में कहा है कि जब तक थानों की कार्यशैली में सुधार नहीं होगा तब तक आदर्श पुलिसिंग को यथार्थ के धरातल पर नहीं उतारा जा सकता।

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    सबसे पहले थानों पर आम आदमी के साथ व्यवहार में सुधार लाना होगा। थानों की सफाई व रख-रखाव उच्च कोटि का होना चाहिए। किसी भी विभाग में बगैर टीम भावना के सुधार संभव नहीं है। पुलिस विभाग भी इसका अपवाद नहीं हो सकता। पुलिस मुख्यालय से लेकर थाना कार्यालय तक आपसी समन्वय और बेहतर नियोजन से न केवल पुलिस की कार्य संस्कृति को आमूल-चूल परिवर्तन लाएं, बल्कि समाज के अंतिम किनारे पर खड़े व्यक्ति को उसकी गरिमा और सम्मान की गारंटी दें।

    डीजीपी के अनुसार विनम्रता और पीड़ितों के प्रति मानवोचित गरिमा प्रदर्शित किए बिना किसी भी प्रकार की सार्थक पुलिसिंग संभव नहीं है। अपने विभाग के अफसरों और कर्मचारियों को हिदायत देते हुए डीजीपी ने लिखा है कि शिकायती प्रार्थना-पत्रों की जांच व अपराधों की विवेचना में निष्पक्षता हमारा मूलमंत्र होना चाहिए।

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    अपराधों का पंजीकरण न करना समाज में अलोकप्रिय छवि को उजागर कराता है और इससे जनता के प्रति हमारी विश्वसनीयता में गिरावट आती है। अपराध का शत-प्रतिशत पंजीकरण अपराध निवारण का सबसे बड़ा सूत्र है।

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