देवोत्थानी एकादशी आज, शुरू होंगे शुभ कार्य
नया गुड़ और नए अन्न का सेवन करने की परंपरा, गन्ने के पूजन के साथ शुरू होती है कटाई।
लखनऊ, जेएनएन। आस्था और विश्वास का पर्व देवोत्थानी एकादशी सोमवार को है। इस दिन जहां गन्ने की पूजा होती है तो दूसरी ओर सिंघाड़ा, नया गुड़, शकरकंद व नए अन्न सेवन की परंपरा है। गन्ने और सिंघाड़े की दुकानें सजी रहीं। ग्रामीण इलाकों में भी खेतों में खड़े गन्ने की पूजा के साथ कटाई शुरू होती है।
कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस दिन शयन को गए भगवान विष्णु जागते हैं और रुके हुए शुभ कार्य फिर से शुरू होते हैं। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि 23 जुलाई को देवशयनी एकादशी से देवता शयन में चले गए थे, जिससे शादी विवाह और अन्य शुभ कार्य बंद थे। हालांकि आठ दिसंबर तक गुरु अस्त होने के चलते शादी की लग्न नहीं है। 16 दिसंबर से खरमास शुरू होंगे। ऐसे में शादी की मात्र तीन शुभ लग्न ही मिलेंगी।
आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि आठ दिसंबर तक गुरु अस्त रहेंगे। इसकी वजह से विवाह आदि शुभ कार्य नहीं होंगे। 16 दिसंबर 2018 से खरमास शुरू हो जाएगा, जो 14 जनवरी को समाप्त होगा। गुरु उदय होने और खरमास शुरू होने के दौरान मात्र 10, 15 और 16 दिसंबर को ही शादियां होंगी। राजधानी में सड़क के किनारे गन्ने की खरीदारी के लिए भी लोगों की भीड़ रही। लोगों ने 10 से 20 रुपये में गन्ने की खरीदारी की।