लखनऊ: कुड़िया घाट पर गोमती नदी में गंदगी का ढेर, बिना स्नान लौट रहे श्रद्धालु
मकर संक्रांति पर डुबकी लगाने गोमती तट पर पहुंचे श्रद्धालु, गंदगी देख लौटे रहे वापस।
लखनऊ, जेएनएन। जहां प्रदेश भर में मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालु हर्ष उल्लास के साथ घाटो पर अस्था की डुबकी लगाने में जुटे हैं। वहीं, राजधानी स्थित कुड़िया घाट पर गोमती नदी का हाल देख श्रद्धालु बिना डुबकी लगाए ही वापस लौट रहे हैं। जहां तक नजर जाए, दूर-दूर तक नदी में सिर्फ प्रदूषण ही दिखाई दे रहा है। इसी बीच एक श्रद्धालु ने कहा कि लोग फूल आदि अपशिष्ट नदी में फेंक देते हैं, हालांकि सरकार ने ऐसा न करने के लिए कहा है। वहीं, मकर संक्रांति पर्व को दखते हुए पहले से ही सरकार को इसे साफ करना चाहिए था।
इस बार दो दिन बन रहा योग
गौरतलब हो कि सूर्य देव के पूजन, स्नान और दान का पुण्य पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। इस साल मकर संक्रांति खास संयोग बन रहा है, जिसकी वजह से यह और भी खास हो रही है। इस बार मकर संक्रांति के योग दो दिन बन रहा है। 14 को रात्रि 2:09 बजे सूर्य देव धनुराशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्योदय से इसका मान शुरू हो जाएगा। जो 15 जनवरी (मंगलवार) सूर्योदय से दोपहर 12 बजे तक मकर राशि में रहेंगे।
ये है महत्व
मकर संक्रांति को खिचड़ी बनाने, खाने और दान करने खास महत्व होता है। इसी वजह से इसे कई जगहों पर खिचड़ी भी कहा जाता है। पं.राकेश पांडेय ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से पाप का नाश होता है। चावल को चंद्रमा का प्रतीक मानते हैं, काली उड़द की दाल को शनि का और हरी सब्जियां बुध का प्रतीक होती हैं। कहते हैं मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से कुंडली में ग्रहों की स्थिती मजबूत होती है। इस मौके पर लकड़ी, तिल, दाल, चावल, पापड़, गुड़, घी नमक और कंबल का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।