ओटीएस योजना में प्राधिकरण-परिषद की नहीं चलेगी मनमानी, आवास विभाग तैयार करा रहा सॉफ्टवेयर
बहुप्रतीक्षित ओटीएस योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हरी झंडी मिलने के बाद आवास विभाग अब उसे तीन माह के लिए लागू करने की तैयारी में जुट गया है।
लखनऊ [अजय जायसवाल]। डिफाल्टर (बकाएदार) आवंटियों के लिए प्रस्तावित ओटीएस (वन टाइम सेटेलमेंट) योजना को लागू करने में विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद की मनमानी नहीं चलेगी। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, इस योजना से संबंधित सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है। सॉफ्टवेयर के तहत ही प्राधिकरण-परिषद को ओटीएस गणना करनी होगी। आवास बंधु की वेबसाइट पर ओटीएस 2020 के माध्यम से आनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। बकाएदार आवंटियों को आवंटन के वक्त किस्तों पर लागू दर से सिर्फ साधारण ब्याज देना होगा। समय से किस्त न जमा करने पर 11 फीसद साधारण ब्याज लगेगा। कुल बकाया 30 दिन में जमा करने पर दो फीसद की अतिरिक्त छूट भी मिलेगी।
बहुप्रतीक्षित ओटीएस योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हरी झंडी मिलने के बाद आवास विभाग अब उसे तीन माह के लिए लागू करने की तैयारी में जुट गया है। गौरतलब है कि पहले-पहल 2002 में योजना लागू हुई थी। फिर 2011 से 31 मार्च 2017 तक रही। अबकी योजना के प्रावधानों में बदलाव किया गया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक सूबे के सभी प्राधिकरण व परिषद में एक समान योजना रहेगी। इसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार कराया जा रहा है। अंतिम पुनर्निर्धारण द्वारा तय किस्तों के बजाए संपत्ति के आवंटन के बाद तय किस्तों के अनुसार अबकी ओटीएस की गणना होगी। योजना कैबिनेट मंजूरी मिलने के बाद लागू कर दी जाएगी।
प्रोसेसिंग फीस के साथ देना होगा डाउन पेमेंट
ओटीएस योजना के तहत दंड ब्याज तो नहीं देना पड़ेगा लेकिन आवेदन पर प्रोसेसिंग फीस के साथ डाउन पेंमेट करना होगा। फीस ईडब्ल्यूएस के लिए 100, एलआईजी के लिए 500, अन्य आवासीय व दुकानों की 2100 जबकि ग्रुप हाउसिंग, संस्थागत व व्यवसायिक के लिए 11 हजार रुपये होगी। इसी तरह पांच हजार से लेकर पांच लाख तक डाउन पेमेंट करना होगा। 50 लाख तक बकाया निकलने पर उसे तीन माह में तीन किस्तों में जबकि ज्यादा होने पर छह माह में जमा करने की सुविधा होगी। किस्तों पर व समय से भुगतान न करने पर 11 फीसद साधारण ब्याज देना होगा।
33 हजार से ज्यादा डिफाल्टर
प्रमुख विकास प्राधिकरण व परिषद में ही 33 हजार से ज्यादा डिफाल्टर आवंटी हैं। सर्वाधिक 12393 डिफाल्टर जहां परिषद के हैं, वहीं एलडीए के 2271, केडीए के 3949, जीडीए के 1300, मेरठ विकास प्राधिकरण के 5500, आगरा विकास प्राधिकरण के 6100, प्रयागराज विकास प्राधिकरण के 146, गोरखपुर विकास प्राधिकरण के 1761, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के 175 और वाराणसी विकास प्राधिकरण के 331 हैं। पूर्व में लागू योजना के तहत 26 हजार से ज्यादा आवेदन आए थे जिससे 72.78 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी।
1815 करोड़ आय का अनुमान
योजना से परिषद व प्रमुख प्राधिकरणों को ही 1814.99 करोड़ रुपये की आय का अनुमान है। परिषद को 1017.09 करोड़ वहीं एलडीए को 172 करोड़, जीडीए को 300 करोड़, केडीए को 54 करोड़, आगरा विकास प्राधिकरण को 263 करोड़ और वाराणसी को 8.90 करोड़ रुपयेे की आय की उम्मीद है।