ऑनलाइन होगा वाहनों के प्रदूषण जांच का ब्योरा, पोर्टल तैयार
इसी माह से ऑनलाइन जांचेंगे वाहनों का प्रदूषण। राजधानी लखनऊ से होगी शुरुआत, ट्रायल रन फरवरी के अंत तक।
लखनऊ, (नीरज मिश्र)। मनमाना पैसा लिया और बिना वाहन जांच किए ही प्रदूषण प्रमाणपत्र जारी कर दिया। प्रदूषण जांच केंद्रों की यह मनमानी अब ज्यादा दिन नहीं चलने वाली। एनआईसी का पोर्टल तैयार हो चुका है। राजधानी लखनऊ में प्रदूषण केंद्रों की ऑनलाइन निगरानी के लिए पॉयलेट प्रोजेक्ट इसी माह शुरू होने जा रहा है। ट्रायल रन के बाद प्रदेश के सभी प्रदूषण केंद्रों को पोर्टल से जोड़ दिया जाएगा। इन प्रदूषण केंद्रों पर विभाग की सीधी नजर रहेगी। महकमे के पास समूचा डाटा एकत्र रहेगा जो माउस की एक क्लिक से बता देगा कि किस गाड़ी का प्रदूषण प्रमाण पत्र कब जारी हुआ और उसकी वैधता अवधि कब तक है?
अभी तक प्रदेश में तकरीबन 1000 प्रदूषण जांच केंद्र संचालित हैं। इन्हें चलाने के लिए परिवहन विभाग अनुमति तो देता है, लेकिन कोई ठोस नियम न होने के कारण इन पर अफसरों का प्रभावी नियंत्रण नहीं रहता है। लिहाजा प्रदूषण जांच केंद्रों पर वाहन स्वामियों से मनमानी वसूली की जाती है। प्रदूषण मानकों की अनदेखी होने की वजह से जांच अक्सर सवालों के घेरे में रहती है। परिवहन विभाग पूरी प्रक्रिया को एक सिंगिल प्लेटफार्म पर लाने जा रहा है।
प्रदूषण मानक में पास होने पर ही मिलेगा प्रमाणपत्र
जांच कराने के लिए वाहन को प्रदूषण केंद्र ले जाना होगा। जैसे ही वाहन प्रदूषण की जांच प्रक्रिया शुरू होगी, पूरी व्यवस्था ऑनलाइन पोर्टल से जुड़ जायेगी। प्रदूषण केंद्र समेत पोर्टल पर वाहन मय नंबर के नजर आने लगेगा। वाहन में किस स्तर का प्रदूषण पाया गया है पूरा डाटा सामने होगा। प्रदूषण मानक के अनुरूप मिला तो वाहन पास हो जाएगा और उसका प्रमाणपत्र जारी हो जाएगा। अगर वाहन फेल हुआ तो सर्टिफिकेट जेनेरेट नहीं होगा। डाटा रिकार्ड रहेगा।
वाहनों की प्रदूषण जांच फीस
दोपहिया, तिपहिया वाहन जो पेट्रोल, सीएनजी और एलपीजी से चल रहे हैं उन्हें प्रदूषण जांच का : 30 रुपया। चौपहिया वाहन-40 रुपया। डीजल से चलने वाली सभी गाडिय़ां : 50 रुपया।
परिवहन आयुक्त पी. गुरुप्रसाद ने बताया कि राजधानी समेत प्रदेश में सभी प्रदूषण जांच केंद्रों को सिंगिल प्लेटफार्म पर लाए जाने की एक महत्वपूर्ण पहल फरवरी माह से शुरू हो रही है। पंद्रह दिन के परीक्षण के बाद इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। सभी प्रदूषण केंद्रों को वाहन-4 से जोड़ दिया जाएगा। इससे व्यवस्था पारदर्शी होगी।