Move to Jagran APP

यूपी चुनाव से पहले केशव प्रसाद मौर्य के मथुरा पर ट्वीट ने बढ़ाया राजनीतिक ताप, जानिए इसके राजनीतिक मायने

UP Assembly Election 2022 उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट में ...अब मथुरा की तैयारी के यही अर्थ निकाले जा रहे हैं कि अयोध्या के ढांचा विध्वंस की बरसी (छह दिसंबर) के ऐन पहले श्रीकृष्ण जन्मस्थान मुद्दे को धार देने के प्रयास शुरू हो चुके हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 09:46 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 12:55 AM (IST)
यूपी चुनाव से पहले केशव प्रसाद मौर्य के मथुरा पर ट्वीट ने बढ़ाया राजनीतिक ताप, जानिए इसके राजनीतिक मायने
यूपी चुनाव से पहले केशव प्रसाद मौर्य के मथुरा पर ट्वीट ने राजनीतिक ताप बढ़ा दिया है।

लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक ट्वीट ने बुधवार को विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ चुके उत्तर प्रदेश की राजनीति में वे लहरें पैदा कर दीं, जो कुछ ही घंटों में तूफान बन गईं। केशव प्रसाद ने लिखा- 'अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है...।' साथ ही हैशटैग किया- 'जय श्री राम, जय शिव शंभू, जय श्री राधे-कृष्ण।' यह भारतीय जनता पार्टी के भगवा एजेंडे का संकेत माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में मथुरा भी मुद्दा बन सकता है।

loksabha election banner

'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे...!' देश और प्रदेश की राजनीति को बड़े घटनाक्रम दिखा चुका यह संकल्प अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ सिद्धि की ओर है तो अब फिर राजनीति नए मार्ग पर कदम बढ़ाती दिख रही है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट में '...अब मथुरा की तैयारी' के यही अर्थ निकाले जा रहे हैं कि अयोध्या के ढांचा विध्वंस की बरसी (छह दिसंबर) के ऐन पहले श्रीकृष्ण जन्मस्थान मुद्दे को धार देने के प्रयास शुरू हो चुके हैं।

दरअसल, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति ने भी करवट ली है। दशकों तक अयोध्या से पर्याप्त दूरी बनाए रहे और खुद को 'सेक्युलर' कहने वाले गैर भाजपाई दलों के नेताओं ने धीरे-धीरे हिंदुत्व की ओर भी सधे कदम रखे हैं। भाजपा पर भगवान राम के नाम पर राजनीति का आरोप लगाने के साथ सपा मुखिया अखिलेश यादव यदा-कदा भगवान कृष्ण को अपना आराध्य बताते रहे हैं। वह मथुरा, चित्रकूट सहित कई धर्मस्थलों पर गए, वहां से राजनीतिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत की।

इसी तरह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंदिर-मंदिर जाना शुरू किया और बसपा ने भी ब्राह्मणों को रिझाने के लिए प्रबुद्धजन सम्मेलनों की शुरुआत अयोध्या से की। पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी रामलला के दर्शन करने पहुंचे। अखिलेश के मुंह से निकला 'जिन्ना' और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'अब्बाजान' शब्द के साथ तंज चर्चा-चटखारों में रहा है।

इस माहौल को भाजपा के रणनीतिकारों ने अपने चश्मे से देखा है। संगठन की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह पिछले दिनों मंत्र भी दे चुके हैं कि विपक्ष यदि हिंदुत्व की पिच पर खेलने के लिए खुद आ गया है तो उसे क्यों न उसी पर खिलाया जाए। अब केशव मौर्य का यह यह ट्वीट उसी पिच पर मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि ढांचा विध्वंस की बरसी के ठीक पांच दिन पहले मौर्य के इस बयान का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि वह विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव रहे अशोक सिंहल के नेतृत्व में मंदिर आंदोलन में सक्रिय भागीदारी कर चुके हैं। वैसे यह ट्वीट उन्होंने उप मुख्यमंत्री के तौर पर किया है।

इस ट्वीट के साथ ही विपक्ष की प्रतिक्रिया भी सामने आई। एक समाचार एजेंसी से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा का एजेंडा गरीबों को लूटकर अमीरों की जेब भरने का है। कोई रथयात्रा या नया मंत्र आगामी चुनाव में भाजपा की मदद नहीं कर सकता। 

इन दिनों सुर्खियों में है मथुरा : ढांचा विध्वंस की बरसी को लेकर मथुरा इन दिनों सुर्खियों में है। छह दिसंबर को कुछ संगठन शाही मस्जिद ईदगाह में लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करना चाहते थे। मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौरव ग्रोवर ने भी कहा है कि धारा 144 लागू होने के कारण उन संगठनों ने अपने कार्यक्रम रद कर दिए हैं। कुछ को पाबंद भी किया गया है।

मथुरा भी अयोध्या की तरह संवेदनशील : योगी सरकार के धार्मिक-सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे में कई धर्मस्थल शामिल हैं, लेकिन एक ही परिसर में मंदिर और मस्जिद होने की परिस्थिति से मथुरा भी अयोध्या की तरह ही संवेदनशील हो जाता है।

1832 से चल रहा है श्रीकृष्ण जन्मस्थान का विवाद : मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान का परिसर 13.37 एकड़ का है। इसी में शाही मस्जिद ईदगाह भी है। मंदिर के पक्षकार दावा करते हैं कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद बनवाई थी। 1832 में इस मामले में पहला मुकदमा जिला कलेक्टर की अदालत में हुआ था। हालांकि, 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच यथास्थिति बनाए रखने का समझौता हो गया था। फिर उस समझौते को चुनौती देते हुए तमाम वाद न्यायालय में दायर किए जा चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.