डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा- खेती में एक लाख महिलाओं ने सीखा सशक्तीकरण का हुनर, कृषि कौशल से संवर रहे गांव
उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कहा कि मातृशक्ति के कृषि कौशल से गांव संवर रहे हैं। इतना ही नहीं ग्रामीण जीवन में भी सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि 476 विकासखंडों की 8.8 लाख महिला किसान परिवारों को कृषि आजीविका संवर्धन गतिविधि योजना के तहत शामिल किया गया है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मातृशक्ति कृषि कार्यों में विशेष हुनर हासिल करके जहां अपने आर्थिक, सामाजिक स्तर को ऊंचा उठा रही हैं, वहीं स्वावलंबन का मार्ग भी प्रशस्त कर रही हैं। वे खेती को भी बहुत अच्छी तरीके से करते हुए उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सूबे की करीब एक लाख से अधिक महिलाओं प्रशिक्षित किया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है। इसी कड़ी में महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना व कृषि आजीविका योजना संचालित की जा रही है। मिशन के तहत कृषि आजीविका व महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के तहत 2017-18 से अब तक 22 जिलों के 25 विकासखंडों में महिला किसानों को सतत कृषि पद्धतियों व गुणात्मक पशुपालन का प्रशिक्षण दिया गया है।
इसमें एक महिला किसान के साथ कम से कम दो वर्षों तक कार्य करके क्षमता का विकास किया जाता है। अब तक 87500 के लक्ष्य के सापेक्ष कुल 107993 महिला किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। सूबे के 476 विकासखंडों की 8.8 लाख महिला किसान परिवारों को कृषि आजीविका संवर्धन गतिविधि योजना के तहत शामिल किया गया है। महिला किसान परिवारों को प्रेरणा पोषण वाटिका, गो-आधारित खेती (कीट प्रबंधन, जैविक खाद, गोबर खाद) आदि गतिविधियां कराई जा रही हैं। साथ ही पशुपालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन से आजीविका चला रही हैं।
समय पर परियोजना पूरी न हुई तो निकाय उठाएंगे अतिरिक्त खर्च: प्रदेश में समय पर परियोजना यदि पूरी नहीं हुई तो उस पर आने वाला अतिरिक्त खर्च अब नगरीय निकाय उठाएंगे। नगर विकास विभाग ने नगर निगम व नगर पालिका परिषद से ऐसी परियोजनाओं की सूची मांगी है जो समय पर पूरी नहीं हो सकी हैं। नगर पंचायतों को फिलहाल इस शर्त से मुक्त रखा गया है।
नगर विकास विभाग ने मांगी विलंबित परियोजनाओं की सूची: नगरीय निकायों में विकास संबंधी ज्यादातर परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं होती हैं। अधिकारियों व कार्यदायी संस्थाओं की मिलीभगत से परियोजनाएं लटकती रहती हैं। यही कारण है कि परियोजनाओं की लागत कई गुना बढ़ जाती है। इसी को देखते हुए सरकार ने परियोजना समय पर पूरा करने व जानबूझकर लेट-लतीफी पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया है। अब निर्धारित समय सीमा के भीतर काम पूरा न होने पर न तो परियोजना की लागत बढ़ाई जाएगी और न ही समय सीमा बढ़ाई जाएगी।
परियोजनाओं के पूरा होने की तैयार हो रही समय सारणी: इस प्रकार देर से काम पूरा होने से जो लागत बढ़ेगी उसका अतिरिक्त खर्च संबंधित नगरीय निकाय उठाएंगे। नई व्यवस्था के तहत नगर विकास विभाग को शहरी योजनाओं के लिए एक समय सारणी तैयार करनी होगी। यह समय सारणी मुख्य सचिव के सामने पेश की जाएगी। भविष्य में इसी समय सारणी के अनुसार काम होगा। परियोजनाओं को समय पर पूरा कराने से जहां विकास कार्यों को गति मिलेगी वहीं, लागत में भी कमी आएगी। सरकार की मंशा को देखते हुए नगर विकास विभाग परियोजनाओं के आकार के आधार पर उसे पूरा करने की समय सारणी का निर्धारण कर रहा है।