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Ayodhya Structure Demolition Case: ढांचा ध्वंस से इतिहास ही नहीं भूगोल भी बदला, कई रास्तों का मिटा गया था अस्तित्व

Ayodhya Case 67.77 एकड़ अधिग्रहण से अनेक मंदिरों के साथ कई रास्तों का मिटा अस्तित्व। अधिग्रहण से दशरथमहल रंगमहल और रामजन्मभूमि के सामने से होकर दुराही कुआं तक की सड़क सहित मुख्य सड़क से गोकुल भवन मंदिर से मिलने वाली पांच सौ मीटर लंबी सड़क का भी अस्तित्व मिट गया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 10:01 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 07:06 AM (IST)
Ayodhya Structure Demolition Case: ढांचा ध्वंस से इतिहास ही नहीं भूगोल भी बदला, कई रास्तों का मिटा गया था अस्तित्व
जो परिक्षेत्र आस्था और हरियाली का केंद्र था, वह छावनी में बदल गया।

अयोध्या, (रघुवरशरण)। करीब 28 वर्ष पूर्व विवादित ढांचा ढहाये जाने से अयोध्या का इतिहास ही नहीं भूगोल भी बदला। तत्कालीन केंद्र सरकार ने ढांचा ध्वंस के माहभर बाद ही एक अध्यादेश के माध्यम से आसपास की 67.77 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर ली। अधिग्रहण की जद में जन्मस्थान सीता रसोई, कोहबरभवन, रामखजाना मंदिर, साक्षीगोपाल मंदिर, आनंद भवन, रामचरितमानस भवन, विश्वामित्र आश्रम जैसे प्रमुख मंदिरों सहित कुबेर टीला, अंगद टीला जैसे पुरास्थल एवं बड़ी मात्रा में खाली भूमि आई। जो परिक्षेत्र आस्था और हरियाली का केंद्र था, वह पुलिस और अर्धसैनिक बलों की छावनी में बदल गया।

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अयोध्या-फैजाबाद नगर को जोडऩे वाली मुख्य सड़क से आज भी अधिग्रहीत परिसर की बैरीकेडिंग देखी जा सकती है। हालांकि, अब इस संपूर्ण 70 एकड़ के परिसर को राममंदिर परिसर के रूप में विकसित किया जा रहा है, पर जनवरी 1993 से शुरू होकर पूरी तीव्रता से चला अधिग्रहण नागरिक स्वायत्तता के लिए भी चुनौती था। अधिग्रहण से दशरथमहल, रंगमहल और रामजन्मभूमि के सामने से होकर दुराही कुआं तक की सड़क सहित मुख्य सड़क से गोकुल भवन मंदिर से मिलने वाली पांच सौ मीटर लंबी सड़क का भी अस्तित्व मिट गया। ये सड़कें संबंधित मुहल्लों के साथ रामनगरी को उत्तरी-पश्चिमी सिरे पर सरयू से जोड़ती थीं।

अधिग्रहीत परिसर के इर्द-गिर्द के मुहल्लों के लोगों के आवागमन पर कोई प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं था, पर जगह-जगह बैरीकेडिंग और सुरक्षा संबंधी पूछताछ से गुजरना उनकी नियति बन गई। सुरक्षा संबंधी व्यवस्था से उपजी जकडऩ अभी कायम है, पर रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की संभावना के आगे यह चिंता दोयम हो गई है। लोगों को लगता है कि सुरक्षा संबंधी सजगता अपनी जगह है, पर मंदिर निर्माण से रामनगरी के साथ उनका भी भाग्य संवरेगा।

अब पुरस्कृत हो रही रामनगरी : शशिकांतदास

ढांचा ढहाये जाने के पूर्व से ही रामनगरी में रचे-बसे एवं रामजन्मभूमि से ही लगे रामकचहरी मंदिर के महंत शशिकांतदास कहते हैं, राम मंदिर के लिए रामभक्तों के साथ रामनगरी ने बहुत कीमत चुकाई है। हालांकि, आज मंदिर के साथ दिव्य रामनगरी के निर्माण की संभावना के रूप में रामनगरी पुरस्कृत भी हो रही है। 


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