Move to Jagran APP

UP: घटे बिजली की दर, खत्म हो फिक्स और मिनिमम चार्ज; उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग दिया सुझाव

बिजली दरों को लेकर उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में लोक महत्व पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इसमें घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज सहित वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त करने हुए अगले तीन वर्षों तक सात फीसद रेग्यूलरेटरी लाभ देने की मांग उठाई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 09:41 AM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 09:41 AM (IST)
UP: घटे बिजली की दर, खत्म हो फिक्स और मिनिमम चार्ज; उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग दिया सुझाव
उत्तर प्रदेश में बिजली दरों को लेकर उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में लोक महत्व पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। यह तो पहले ही तय हो चुका है कि उत्तर प्रदेश में अबकी बिजली की दर नहीं बढ़ेगी, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए इससे भी अधिक राहत यह हो सकती है कि मौजूदा बिजली दरों को भी घटा दिया जाए। यह महज ख्वाहिश नहीं, बल्कि राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद द्वारा विद्युत नियामक आयोग को सुझाया गया वह फार्मूला है, जिसके जरिये बिजली विभाग अपने ऊपर चढ़ी उपभोक्ताओं की लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की देनदारी उतार सकता है।

loksabha election banner

बिजली दरों को लेकर उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में लोक महत्व पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इसमें घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज सहित वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त करते हुए प्रदेश के तीन करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को अगले तीन वर्षों तक सात फीसद रेग्यूलरेटरी लाभ देने की मांग उठाई है। परिषद द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया कि विद्युत अधिनियम 2003 के मुताबिक बिजली उपभोक्ताओं के अब तक बिजली कंपनियों पर कुल 19,535 करोड़ रुपये निकल रहे हैं।

आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह को सौंपी याचिका में कहा गया कि पूर्व में उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 13,337 करोड़ रुपये निकला था। उस पर वर्ष 2018-19 से अब तक कैरिंग कॉस्ट 12 फीसद के अनुसार लगभग 5400 करोड़ ब्याज बनेगा। वर्ष 2020-21 में भी उपभोक्ताओं का लगभग 800 करोड़ रुपया निकला है। इस प्रकार उपभोक्ताओं को कुल 19,535 करोड़ रुपये का लाभ मिलना उनका सांविधानिक अधिकार है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रस्ताव में कहा है कि इस पूरी रकम का लाभ एक साथ उपभोक्ताओं को देने से बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है, इसलिए इसका लाभ अगले तीन वर्षों में उपभोक्ताओं को मिले।

प्रस्ताव के मुताबिक समायोजन तब ही संभव होगा, जब तीन वर्षों तक प्रदेश के घरेलू ग्रामीण, शहरी उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज को पूर्णतया समाप्त किया जाए। वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त करते हुये फिक्स डिमांड चार्ज में दस फीसद की कटौती हो। किसानों की मौजूदा दर 170 रुपये प्रति हॉर्सपावर से घटाकर 150 रुपये प्रति की जाए। साथ ही ग्रामीण अनमीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं की मौजूदा दर 500 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह में 30 फीसद की कटौती की जाए।

सभी श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को अगले तीन वर्षों तक सात फीसद रेग्यूलरेटरी लाभ दिया जाए। यानी हर महिने उनके बिलों में सात फीसद की कमी हो, तब जाकर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का हिसाब बराबर होगा। वर्मा ने पुनर्विचार याचिका के साथ कोरोना काल में उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार में कम की गई दरों का मसौदा भी सौंपा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.