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लखीमपुर प्रभात हत्याकांड: केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की हाई कोर्ट से अपील; केस इलाहाबाद स्थानांतरण कर दिया जाए

लखीमपुर में 22 साल पहले हुए प्रभात हत्याकांड का सोमवार को हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच से फैसला आना था लेकिन सुनवाई एक बार फिर टल गई। वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने हाई कोर्ट से अपील की है कि इस केस की सुनवाई इलाहाबाद ट्रांसफर कर दी जाए।

By Vikas MishraEdited By: Published: Mon, 22 Aug 2022 02:24 PM (IST)Updated: Mon, 22 Aug 2022 02:24 PM (IST)
लखीमपुर प्रभात हत्याकांड: केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की हाई कोर्ट से अपील; केस इलाहाबाद स्थानांतरण कर दिया जाए
प्रभात हत्याकांड मामले में एक बार फिर सुनवाई टल गई

लखनऊ, विधि संवाददाता। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी ने हत्या के एक मामले में उनकी दोषमुक्ति के खिलाफ दाखिल राज्य सरकार की अपील को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से प्रधान पीठ इलाहाबाद स्थानंतरण की मांग की है।

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अपील पर सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि स्थानांतरण की मांग सम्बंधी उनका प्रार्थना पत्र मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष दाखिल किया जा चुका है। इस पर अपील की सुनवाई कर रही खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 सितम्बर को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।  यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की खंडपीठ ने सरकार की अपील पर पारित किया।

यह था पूरा मामला : लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में रहने वाले संतोष गुप्ता ने कोतवाली तिकुनिया पुलिस को दी गई तहरीर में लिखा था उनका भाई प्रभात गुप्ता उर्फ राजू दिनांक 8 जुलाई 2000 को अपने घर से दुकान जा रहा था। जैसे ही वह मुख्य मार्ग पर पहुंचा तभी रास्ते में पंचायत चुनाव की रंजिश मानते हुए अजय मिश्र उर्फ टेनी, सुभाष उर्फ मामा, शशि भूषण अग्रवाल उर्फ पिंकी, राकेश उर्फ डालू ने उसे घेर कर रोक लिया।

तहरीर में आरोप है कि टेनी ने प्रभात गुप्ता उर्फ राजू की कनपटी से सटाकर गोली चला दी। जिससे उसकी मौत हो गई यह भी कहा गया है कि उपरोक्त सभी नामजद आरोपितों ने एक-एक कर प्रभात गुप्ता को गोलियां मारी। जिससे प्रभात गुप्ता उर्फ राजू की मौका ए वारदात पर ही मौत हो गई।

इस मामले में अपराध संख्या 31/ 2000 धारा 302 आईपीसी के तहत मुकदमा कोतवाली दुनिया में पंजीकृत किया गया। निचली अदालतों ने साक्ष्य के अभाव में मुकदमे से अजय मिश्र टेनी को बरी कर दिया था। मगर इस मामले की सुनवाई अब तक 22 वर्षों के बाद भी हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में चल रही है।


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