एसडीएम की मौतः अफसरों की चौखट पर गुहार लगाकर हार चुके थे हेमेंद्र
ललितपुर में एसडीएम हेमेंद्र कांडवाल के खुदकशी करने की जानकारी पर मुरादाबाद में उनके परिवार में कोहराम मच गया। खबर सुनते ही उनकी पत्नी बेसुध हो गईं।
मुरादाबाद (जेएनएन)। ललितपुर में एसडीएम हेमेंद्र कांडवाल के खुदकशी करने की जानकारी पर मुरादाबाद में उनके परिवार में कोहराम मच गया। खबर सुनते ही उनकी पत्नी बेसुध हो गईं। होश आने पर बताया कि बीते अगस्त में हेमेंद्र का प्रमोशन हुआ था। वह तहसीलदार से एसडीएम बन गए थे। तभी उनकी तैनाती बुलंदशहर से ललितपुर कर दी गई। 12 साल के बेटे तन्मय का मानसिक उपचार चल रहा है, जिसकी फिजियोथेरेपी कराई जा रही है। बेटे को लेकर हेमेंद्र काफी परेशान थे। मूल रूप से बरेली के राजेंद्रनगर के रहने वाले हेमेंद्र मुरादाबाद और बुलंदशहर में तहसीलदार रहे थे। तभी इन्होंने रामगंगा विहार की टीडीआइ सिटी में मकान बनवा लिया था। परिवार यहीं रहता था।
सीएम दरबार तक पहुंचे थे
अगस्त में हुए स्थानांतरण के बाद डेढ़ माह तक हेमेंद्र ने बेटे की मेडिकल फाइल को लेकर लखनऊ में सीएम के जनता दरबार से लेकर प्रमुख सचिव गृह से मुरादाबाद के आसपास जिले में तैनाती की मांग की। किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई। उल्टे काम का बोझ लाद दिया गया। पिंकी के अनुसार हालत यह हो गई थी कि त्योहार पर भी छुट्टी नहीं दी जा रही थी। बेटे की इस हालत को देख हेमेंद्र काफी परेशान थे। हर रोज बेटे तन्मय के बारे में बात करते थे।
22 मिनट में पत्नी को बयां की दास्तां
शनिवार रात 10 बजे पत्नी पिंकी को की गई कॉल में हेमेंद्र का साहस जवाब दे गया था। करीब 22 मिनट तक हुई बातचीत में पिंकी ने पूछा कि हेमेंद्र कैसे हो? जवाब आया कि बहुत टेंशन में हूं। वीआइपी कार्यक्रम के चलते डीएम साहब ने काम का अत्यधिक लोड डाला हुआ है। छह माह का समय मैं यहां पूरा नहीं कर पाऊंगा। इस बार दीपावली पर भी छुट्टी नहीं मिलेगी। करवा चौथ के बारे में पूछा गया तो उस दिन भी आने से मना कर दिया। हेमेंद्र की इस हालत को देखकर बार बार उन्हें कहा गया कि टीवी देखकर मन को परिवर्तित करें।
रक्षा बंधन पर घर आए थे हेमेंद्र
अंतिम बार हेमेंद्र रक्षा बंधन पर दो दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे। पिंकी ने बताया कि तब भी बेटे को देखकर काफी परेशान थे। हमने तब भी समझाया कि हमारी चिंता मत करो। सिर्फ नौकरी पर ध्यान दो।
नींद की गोली लेते थे एसडीएम
पत्नी ने बताया कि एसडीएम हेमेंद्र को रातभर नींद नहीं आती थी। हाल में उन्होंने नींद की गोलियां खानी शुरू कर दी थी। नियुक्त विभाग के मुख्य सचिव ने उन्हें छह माह में स्थानांतरण का आश्वासन दिया था, लेकिन छह माह कैसे कटेंगे? यही सवाल अक्सर हेमेंद्र करते थे।