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Bacteria in Ground Water: भूगर्भ तक पहुंचा घातक बैक्टीरिया, नलोंं से निकला 'जहर'

Bacteria in Ground Water जांचे गए हैंडपंपों के पानी में 33 फीसद में मिले हानिकारक जीवाणु। उत्तर प्रदेश के 30 जिलों के हैंडपंपों के पानी में जीवाणुओं की मौजूदगी।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 08:13 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 01:42 PM (IST)
Bacteria in Ground Water: भूगर्भ तक पहुंचा घातक बैक्टीरिया, नलोंं से निकला 'जहर'
Bacteria in Ground Water: भूगर्भ तक पहुंचा घातक बैक्टीरिया, नलोंं से निकला 'जहर'

लखनऊ [रूमा सिन्हा]।  सूबे के भूजल भंडारों में जीवाणुओं (कॉलीफॉर्म) की मौजूदगी सुरक्षित पेयजल आपूर्ति के मंसूबों पर पानी फेर रही है। उत्तर प्रदेश जल निगम की पेयजल गुणवत्ता की एक हालिया जांच रिपोर्ट में 75 जिलों के जांचे गए करीब  18100 हैंडपंपों के पानी के नमूनों में से  22 जिलों के लगभग 33 फीसद नमूनों में जीवाणु  (बैक्टीरियोलॉजिकल कंटामिनेशन) पाया गया है।  भारतीय मानक ब्यूरो के मुताबिक, भूगर्भ जल में जीवाणुओं की संख्या शून्य होनी चाहिए।

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उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिंडन बेसिन के नौ जिलों में भी भूगर्भ जल विभाग द्वारा केंद्रीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर ) से कराई गई भूजल नमूनों की जांच में 42 फीसद नमूनों में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले हैं। सेहत के लिए नुकसानदेह इन जीवाणुओं से सबसे अधिक प्रदूषित जिले कानपुर देहात, देवरिया,लखीमपुर खीरी, गोंडा,महाराजगंज, बहराइच, गोरखपुर, मथुरा,आजमगढ़ है। ऐसे ही हालात हिंडन बेसिन के सहारनपुर, आगरा, गाजियाबाद, मेरठ में भी पाए गए हैं। 

यह बेहद चिंताजनक है। अभी तक नदियों में ही जीवाणुओं की भरमार पाई जाती है, लेकिन अब सुरक्षित समझे जाने वाले भूजल भंडारों में इनकी मौजूदगी इस बात की गवाह है कि हमने भूमि जल भंडारों को भी प्रदूषित कर दिया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक भूगर्भ जल में बैक्टीरिया की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि सीवेज,कूड़े के ढेर, कृषि उत्प्रवाह व अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण बैक्टीरिया जमीनी जल स्रोतों में पहुंच रहे हैं। गंभीर बात यह है कि भूजल भंडारों को ऐसे प्रदूषण से मुक्त करने की कोई भी कारगर तकनीक उपलब्ध नहीं है।   

 प्रदेश में लगभग 26 लाख इंडिया मार्क-2 हैंडपंप है। उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा जल गुणवत्ता परीक्षण के तहत   विभिन्न जिलों के 18184 हैंडपंपों के पानी की पड़ताल की गई, जिसमें 22 जिलों के 6128 हैंडपंपों के जल नमूनों में  बैक्टीरियोलॉजिकल कंटामिनेशन पाया गया। इनमें सर्वाधिक 716 नमूने बहराइच जिले में प्रदूषित पाए गए, जबकि बलरामपुर में 573, लखीमपुर खीरी में 562, गोंडा में 514 हैंडपंपों के पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले। अन्य प्रभावित जिलों में मैनपुरी ,रायबरेली,सहारनपुर, संत कबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बलिया, सीतापुर ,बस्ती, गाजीपुर, हरदोई, कुशीनगर शामिल हैं।  जल निगम के मुख्य अभियंता ग्रामीण जीपी शुक्ला कहते हैं कि ऐसे क्षेत्रों के लिए पाइप जलापूर्ति योजना लाई जा रही है जिससे सुरक्षित जलापूर्ति की समस्या का सम हो सके। 

उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिंडन नदी बेसिन क्षेत्र के आगरा, फिरोजाबाद, गौतम बुधनगर, गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर व शामली में भी  333 भूजल नमूने जाचें गए, जिसमें 142 नमूनों में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया पाये गए हैं। आगरा के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के 25 में से 22 नमूनें जीवाणुओं से दूषित पाए गए। वहीं,  गाजियाबाद के 21 में से 12,  मेरठ के 24 में से 11,  फिरोजाबाद के 13 में से 8, सहारनपुर के 89 में से 46 नमूनो में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले हैं, जबकि मानक के अनुसार भूजल  में  यह जीवाणु शून्य होने चाहिए।    

सबमरसिबल बोरिंगो में फीकल कॉलीफॉर्म 

लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र में पार्कों की रिचार्ज परियोजना के तहत आइअाइटीआर द्वारा पूर्व में सबमरसिबल बोरिंगों के नमूने चेक किए गये, जिसमें सीवेज जनित जीवाणु (फीकल कॉलीफॉर्म) पाए जाने की पुष्टि हुई है , जो घर-घर में लगी बोरिंगों से बगैर पड़ताल के निकाले जा रहे पानी के लिए चिंता की बात है।


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