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रायबरेली: डीएम बनी सफाईकर्मी की बेटी, फरियादी से पूछा- SDM से मिले हो या नहीं

प्रशासन द्वारा मिशन शक्ति अभियान के तहत आधी आबादी के आत्मबल को मजबूत करने की कवायद के तहत रायबरेली में एक दिन की डीएम बनी सफाईकर्मी की बेटी जिलाधिकारी कक्ष में 1.30 घंटे तक सुनी जन समस्याएं। निस्तारण के लिए जिम्मेदारों को निर्देशित भी किया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 03:02 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 03:02 PM (IST)
रायबरेली: डीएम बनी सफाईकर्मी की बेटी, फरियादी से पूछा- SDM से मिले हो या नहीं
रायबरेली में एक दिन की डीएम बनी सफाईकर्मी की बेटी जिलाधिकारी कक्ष में 1.30 घंटे तक सुनी जन समस्याएं।

रायबरेली, जेएनएन। महिला शक्ति को आत्मविश्वास से लबरेज करने के लिए सोमवार को डीएम ने अनूठा प्रयास किया। सरकारी विद्यालय में आठवीं की प्रतिभावान छात्रा को उन्होंने कलक्टर बनाया। प्रभारी जिलाधिकारी बन बेटी ने 1.30 घंटे तक जनता की समस्याएं सुनीं और उनके निस्तारण के लिए जिम्मेदारों को निर्देशित भी किया।

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मूलरूप से जगतपुर के पूरे हनुमान सिंह मजरे रामगंज टिकरिया गांव की मिताली विश्वकर्मा को जिलाधिकारी की कुर्सी पर बैठने और जन समस्याएं सुनने का सौभाग्य उनकी प्रतिभा के बूते मिला। महिला सशक्तीकरण के साथ ही मिशन शक्ति अभियान के लिए उनके द्वारा बनाई गई जागरूकता परक पेंटिंग ने अधिकारियों को आकर्षित किया। तभी डीएम वैभव श्रीवास्तव ने मिताली को ये जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया।

सोमवार की सुबह 10.30 बजे वह डीएम के साथ कलेक्टर ऑफिस पहुंची। जिम्मेदारी वाली कुर्सी पर मिताली और उनके मार्गदर्शन के लिए डीएम बगल वाली सीट पर बैठे। जमीन पर कब्जे संबंधी मसले ज्यादा आए। प्रतिभावान बेटी ने फरियादी से पूछा कि एसडीएम से मिले या नहीं। फिर उनको बताया कि वह अपनी समस्या के संबंध में आगे किस अधिकारी से मिलें। इस बाबत उन्होंने ही प्रार्थना पत्र पर जांच संबंधी आदेश देते हुए हस्ताक्षर भी किए। पांच मामले आमने-सामने सुने, फिर ऑनलाइन समस्याओं का निस्तारण कराया। करीब 1.30 घंटे तक वह गंभीरता से जिलाधिकारी के कामकाज की बारीकियां भी सीखती रही। इस मौके पर उनके पिता राजेंद्र विश्वकर्मा जोकि पंचायती राज में सफाई कर्मी हैं, और माता विजयलक्ष्मी भी डीएम कक्ष में मौजूद रहीं।

महिला सुरक्षा के लिए विधिक उपबंध बने हैं। अब जरूरत सामाजिक उपबंधों की भी है ताकि आधी आबादी का आत्मविश्वास बढ़े। उन्हें उनकी शक्तियों का आत्मबोध और आत्मावलोकन कराने के उद्देश्य से मेरे द्वारा ये प्रयास किया गया है।

वैभव श्रीवास्तव, जिलाधिकारी

बेटी बोली,

ये मेरे लिए गौरव के क्षण हैं। इसके लिए मैं जिलाधिकारी को धन्यवाद देती हूं। मेरी पूरी कोशिश रहेगी की मैं भविष्य में अधिकारी बनूं और सामाजिक विसंगतियों को दूर करने में अपनी भूमिका अदा करूं।

मिताली विश्वकर्मा


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