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दलित अपनी पूरी जमीन बेच सकेंगे गैर दलित को

बसपा व भाजपा सदस्यों द्वारा वेल में की जा रही सरकार विरोधी नारेबाजी व कांग्रेस सदस्यों के बहिर्गमन के बीच विधान सभा ने आज उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक 2015 पारित कर दिया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2015 07:26 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2015 11:43 PM (IST)
दलित अपनी पूरी जमीन बेच सकेंगे गैर दलित को

लखनऊ। बसपा व भाजपा सदस्यों द्वारा वेल में की जा रही सरकार विरोधी नारेबाजी व कांग्रेस सदस्यों के बहिर्गमन के बीच विधान सभा ने आज उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक 2015 पारित कर दिया।

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इस विधेयक के पारित होने के बाद दलित समुदाय का व्यक्ति जिलाधिकारी की अनुमति से अपनी पूरी जमीन भी गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को बेच सकेगा। दलित द्वारा गैर दलित को जमीन बेचने के बाद भी कम से कम से कम 1.26 हेक्टेयर जमीन दलित के पास बचे रहने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है।

राजस्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव द्वारा विचार के लिए यह विधेयक सदन में रखे जाने पर नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या के अलावा भाजपा व कांग्रेस के सदस्यों ने भी विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव किया। नेता प्रतिपक्ष ने विधेयक को दलित विरोधी बताते हुए कहा कि डा. राम मनोहर लोहिया की दुहाई देने वाली सरकार ने लोहिया के विचारों को गला घोंट रही है।स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि यह विधेयक दलितों के साथ धोखा है और सरकार ने इसके जरिए दलितों की जमीन भूमि माफियाओं के चंगुल में देने का षडयंत्र रचा है। उन्होंने कहा कि यह दलितों को भूमिहीन कर उन्हें मजदूर बनाने की साजिश है।

भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुरेश खन्ना व राधामोहन दास अग्रवाल ने भी विधेयक का पुरजोर विरोध किया। अग्रवाल ने सरकार से जानना चाहा कि 12 दिसंबर 2012 को गजट में प्रकाशित हो चुका राजस्व संहिता अधिनियम 2006 प्रदेश में लागू है कि नहीं। इस पर पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अंबिका चौधरी ने कहा कि यह अधिनियम अधिसूचित नहीं है और प्रदेश में लागू नहीं है। कांग्रेस नेता प्रदीप माथुर व अनुग्रह नारायण सिंह ने भी विधेयक को दलित विरोधी करार दिया और इसके पारित होने के पहले ही सदन से बहिर्गमन कर गए। बिल पारित होने के समय बसपा व भाजपा के सदस्यों ने वेल में आकर जमकर नारेबाजी की।

रालोद की विचित्र स्थिति

रालोद नेता दलवीर सिंह ने विधेयक का पुरजोर समर्थन किया जिस पर सत्ता पक्ष ने जमकर तालियां बजाई। इसके फौरन बाद ही सदन के बाहर आकर रालोद विधायकों पूरन प्रकाश व भगवती प्रसाद ने अपने दल के नेता द्वारा विधेयक का समर्थन करने को गलत करार देते हुए कहा कि विधेयक दलित विरोधी है और वे दोनों इसका विरोध करते हैं।

राज्यपाल पर सपा-भाजपा में तकरार

उत्तर प्रदेश राज्यपाल राम नाईक को लेकर सपा नेताओं की टीस विधानसभा में बुधवार को जाहिर हुई। शुरुआत संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने राजभवन में अटके उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन)विधेयक-2015 का मुद्दा उठाकर की। तंज भरे लहजे में कहा कि राज्यपाल पर टिप्पणी करना उनकी मंशा नहीं परन्तु राजभवन में नगर निगम(संशोधन) बिल अटकने की पीड़ा जरूर है और पीड़ा जाहिर करने का हक हर एक को है। आजम का दर्द यही नहीं ठहरा। बोले, यह जौहर विश्वविद्यालय का बिल नहीं, जिसको दो राज्यपाल रोके हुए थे। जब किसी राज्यपाल का आचरण निष्पक्ष नहीं रह जाता तो अंगुली उठती है। नाराजगी तब होती है जब लोक महत्व के बिलों को भी रोका जाए। लोकतंत्र का गला नहीं घोंटा जाना चाहिए। आजम के तेवर से भाजपाइयों में बेचैनी दिखी। दलनेता सुरेश खन्ना ने पलटवार करते हुए सदन में राज्यपाल पर चर्चा नहीं करने की परम्परा याद दिलाई और आरोपों को कार्यवाही से बाहर करने की मांग की। राधामोहन अग्रवाल, सतीश महाना, सुरेश राणा, डा. अरुण कुमार, रविंद्र भड़ाना व धर्मपाल सिंह ने भी प्रतिरोध दर्ज कराया। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया परन्तु विकलांग कल्याण मंत्री अंबिका चौधरी ने भी आजम खां के सुर में सुर मिलाया और राज्यपाल पद की गरिमा और मर्यादा बनाए रखने पर जोर दिया। कहा कि उच्च स्तर से मर्यादा बनाए रखने पर निचले स्तर पर भी अनुपालन की उम्मीद की जा सकती है। गंगा की सफाई के लिए गंगोत्री स्वच्छ होना बहुत जरूरी है।

राजभवन बनाम राजनीति भवन

राज्यपाल मामले पर भाजपा सदस्यों का हंगामा जारी रहने पर आजम खां फिर से उठे और राजभवन को राजनीति भवन न बनाए की बात कही। उनका कहना था कि अंग्रेजों के जमाने की परम्परा ढोने से काम नहीं चलेगा। गर्वनर जैसी व्यवस्था अंग्रेजी शासनकाल की देन है। उन्होंने कहा कि भाजपाइयों को ध्यान रखना चाहिए कि कल वो भी इस व्यवस्था के शिकार हो सकते है। आजम के विरोधी माने जाने वाले श्रम मंत्री शाहिद मंजूर भी राज्यपाल पर हमलावर दिखे। उनका कहना था कि राज्यपाल का खुलेआम पक्ष लेकर भाजपाई उनको भगवा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। राज्यपाल सबके हैं और उनको इसी हैसियत से व्यवहार करना भी चाहिए।

लोकायुक्त का मुद्दा नहीं छेड़ो

आजम खां ने भाजपा के सतीश महाना द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे को उठाने की कोशिश का विरोध किया। कहा कि लोकायुक्त का जिक्र होगा तो राज्यपाल पर भी सवाल उठेंगे। राज्यपाल का जिक्र करना नहीं चाहते हो तो लोकायुक्त का मुद्दा न छेड़ो।

दो विधेयक पारित

विधान सभा में दो विधेयक पारित किए गए। विपक्ष की ओर से दोनों विधेयकों को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव किया गया जो नामंजूर हो गया। विधान सभा में एरा विश्वविद्यालय लखनऊ उत्तर प्रदेश विधेयक 2015 तथा उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था (संशोधन) अधिनियम 2015 को पारित किया गया।


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