मुसीबत में दुग्ध उद्योग, पशुपालकों पर पड़ी कोरोना महामारी की मार
डेयरी ने किसानों से दूध खरीदने में की बड़ी कटौती कोरोना महामारी की वजह से 50 हजार से अधिक पशुपालकों को लगा झटका।
अंबेडकरनगर, [अरविंद सिंह]। दुग्ध उद्योग को कोरोना महामारी ने मुसीबत में डाला और करीब 50 हजार से अधिक पशुपालकों को तगड़ा झटका दिया है। संक्रमण से बचने में लॉकडाउन के बीच घरों, बाजारों में दूध की खपत लगभग थम गई। शादी विवाह के दिनों से ठीक पहले हुए लॉकडाउन से मांगलिक व सार्वजनिक विविध आयोजन बंद हैं। बरुआ जलाकी गांव निवासी पशुपालक पंकज वर्मा बताते हैं कार्यक्रमों के लिए हुई दूध की बुकिंग कैंसिल होने लगी हैं। वहीं दूध की जरूरत कम हुई, तो डेयरी ने दूध लेने में कटाैती की, बीच-बीच में बंद रखा। इससे दूध खपाना कठिन हुआ तो पशुओं का आहार कम किया। इससे पशुअों ने दूध कम कर दिया। नुकसान से जूझते पशुपालक व डेयरी संचालक लॉकडाउन में ढील से राहत मिली है। सार्वजनिक आयोजनों पर पाबंदी खत्म होने पर ही दुग्ध उद्योग पटरी पर लौटेगा।
एक डेयरी बंद, बाकी में काटौती : जिले की प्रमुख पांच डेयरी में नमस्ते इंडिया ने पहला लॉकडाउन लगते ही दूध खरीदना बंद कर दिया। प्लांट इंचार्ज रिंकू गौतम बताते हैं, करीब दो हजार पशुपालक पांच हजार लीटर दूध की आपूर्ति करते थे। सीपी ज्ञान डेयरी में पहले साढ़े छह हजार पशुपालकों से करीब 30 हजार लीटर दूध लेते थे। मांग घटने से डेयरी लगातार दूध में कटौती कर रही है। मैनेजर रामअमोल यादव बताते हैं औसतन 30 फीसद कटौती के बाद अब चार हजार पशुपालकों से 15 हजार लीटर दूध खरीद रहे हैं। मदर डेयरी के सुपरवाइजर महेशेंद्र द्विवेदी बताते हैं 1200 पशुपालकों से 18 हजार लीटर दूध लिया जाता है। इस समय 14 हजार लीटर लेते हैं। कंटेनमेंट जोन के चार सेंटर बंद हैं। घर-घर दूध बेचने वाले हजारों की संख्या में दूधिया संकट से जूझ रहे हैं।पशु आहार बाजार लुढ़का : दूध की खपत कम होने से पशुपालक पशुओं को पौष्टिक आहार देना कम कर दिया। इससे पशुआहार के कारोबार को नुकसान झेलना पड़ रहा है।। पशुआहार बाजार में करीब तीन गुना तक गिरावट हुई। आशापार निवासी बृजेश पांडेय बताते हैं, 900 की जगह अब 300 बोरी ही पशु आहार फिलहाल बिक रहा है।