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Dainik Jagran Samvadi 2019 Lucknow : कमाई के लिए होती हैं इतिहास पर बनीं फिल्में

Dainik Jagran Samvadi 2019 Lucknow इतिहास लेखन की चुनौतियां विषय पर विश्वास पाटिल से आत्म प्रकाश मिश्र की बातचीत।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 09:52 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 08:21 AM (IST)
Dainik Jagran Samvadi 2019 Lucknow : कमाई के लिए होती हैं इतिहास पर बनीं फिल्में
Dainik Jagran Samvadi 2019 Lucknow : कमाई के लिए होती हैं इतिहास पर बनीं फिल्में

लखनऊ [महेन्द्र पाण्डेय]। इतिहास किसी के खारिज करने से खत्म नहीं होता। अगर जंग के आईने में किसी के शौर्य को देखेंगे तो असल तस्वीर दिखेगी। अकाट्य सत्य है तलवार से कलम हमेशा महान रही। वाल्मीकि न होते तो हमारे सामने रामायण न होती। वेदव्यास न होते तो आप महाकाव्य महाभारत न पढ़ पाते। इतिहास लेखन इतना आसान नहीं है। उसे महज नजरिया या कल्पना पर नहीं लिखा जा सकता। फिल्मों में जो इतिहास हम देख रहे हैं, वह तात्कालिकता की बुनियाद पर टिका है, इसलिए लड़खड़ा रहा है।

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22 बरस की मस्तमौला उम्र में पानीपत उपन्यास लिखने वाले विश्वास पाटिल रविवार को अभिव्यक्ति के उत्सव में अतीत के सतरंगी समुद्र में दर्शकों को गोते लगवा रहे थे। उनके साथ सत्र के खेवनहार दूरदर्शन के प्रस्तोता आत्मप्रकाश मिश्र सवालों के पतवार के सहारे दर्शकों के जिज्ञासाओं की नौका पार लगा रहे थे। उसी नाव पर सवार विश्वास पाटिल सभी के साथ पानीपत की गौरवशाली माटी पर पहुंचे।

महाराष्ट्र में युद्ध के मैदान से पेशवा के शौर्य के साथ अहमद शाह अब्दाली के नीचपन का दर्शन कराते हुए मंगल पांडेय, जोधा अकबर, अनारकली, चंद्रमुखी, बाजीराव पेशवा का अतीत दिखाते हुए वह सुभाष चंद्र बोस के पास कलकत्ता तक ले गए। रास्तेभर में 'पानीपत' से लेकर 'महानायक' तक की चर्चा में दर्शक अतीत से न सिर्फ वाकिफ हुए, बल्कि इतिहास लेखन की चुनौतियां भी समझ गए थे। 

विश्वास पाटिल ने बड़े विश्वास के साथ इतिहास की अमरता का अहसास दर्शकों को कराया और साफगोई से इतिहासकार के धर्म का परिचय भी दे दिया। हाल में बैठे साहित्यकार भी जान गए थे कि इतिहास लेखन करने वाले को सर्कस के बच्चे की भांति होना चाहिए। जो रस्सी पर चले और गिरे भी पर, उसे तालियां जरूर चाहिए। तभी आत्मप्रकाश ने सवाल उछाला-माक्र्सवादियों ने देश का इतिहास लिखा, क्या उस इतिहास को दोबारा लिखा जाना चाहिए?

विश्वास ने कहा, इतिहास कभी भी लिखा जाएगा, अगर उसमें तात्कालिकता है तो उसे अमरता नहीं मिलेगी। फिल्मों में जो इतिहास दिखाया जाता है, वह 200 करोड़ या 400 करोड़ की कमाई के लिए होता है। उस इतिहास में मस्तानी नाचने वाली थी पर, सिनेमाई इतिहास में काशीबाई भी नाच रही है। और तो और बाजीराव पेशवा को भी इस इतिहास ने नचवा दिया। देश के इतिहास में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु और नेताजी सुभाषचंद्र बोस ऐसे नायक हुए हैं, जिन पर लिखना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा। जब नेताजी कांग्रेस के प्रेसीडेंट बने तो गांधी ने चुनाव को चैलेंज कर दिया था। उस वक्त इन महानुभावों पर लिखना खतरनाक था।

आसपास ही मिलते हैं नायक 

विश्वास ने एक वाकया सुनाकर बताया कि किस तरह एक प्राइमरी टीचर सचिवालय को फूंकने की धमकी देता है और वह जब उसके घर जाकर देखते हैं तो 40 साल की उसकी व्यथा से साक्षात्कार होता है। यहीं उन्हें अपने उपन्यास का नायक मिल जाता है। वह यह भी बताते हैं कि बांध पुनर्वास पर उपन्यास लिखने के चलते उन्हें निलंबित करने का फरमान आता है, चुनाव के चलते सब टाल दिया जाता है। इसलिए कि अगर वह नौकरी से हाथ धोने के बाद निर्वाचन में उतरे तो नेताओं की सियासी जमीन खिसक सकती है। 

डटकर दिया जवाब, सुनकर लगे ठहाके

विश्वास जब पांचवीं कक्षा में थे, गुरुजी ने पूछा पानीपत का युद्ध कब-कब हुआ? जवाब पता नहीं था पर, गुरुजी ने ही यह बताया था कि उत्तर डटकर देना चाहिए। विश्वास ने यही किया। बोले, सर्वप्रथम पहला युद्ध, फिर दूसरा, उसके बाद तीसरा। यह सुनकर संवादी के हॉल में तालियों की गडग़ड़हाट के बीच लोगों की हंसी छूट गई लेकिन, आखिरी बात विश्वास ने इसके बाद बताई। गुरुजी की उसी डांट के बाद उन्होंने छह वर्षों तक मेहनत की और पानीपत का उपन्यास रच दिया। आज इसकी ढाई लाख प्रतियां बिक चुकी हैं। 

दीर्घा से सवाल : 

फरहा अनवर ने सवाल किया अगर दो सौ साल बाद इतिहास लिखा जाता है, तो उस कैसे भरोसा करें? 

विश्वास : इतिहास अगर कमाई के लिए लिखा जाएगा तो उस भरोसा नहीं किया जा सकता। झूठ का इतिहास टिक नहीं सकता। 

प्रभात रंजन ने सवाल किया कि क्या कभी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से रहस्य का पर्दा उठ पाएगा? 

विश्वास : हमने जिस सुभाषचंद्र को पढ़ा है, वह कभी गुमनामी बाबा नहीं बन सकते। उनकी मौत की खबर आने के बाद नेहरू ने गुप्त इन्क्वायरी कमीशन गठित किया था, जिसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि नेताजी की दुर्घटना में मौत हो गई थी। 


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