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लखनऊ में ट्रामा के ड्रामे का दैनिक जागरण ने किया राजफाश: बीएससी पास डाक्टर कर रहे इलाज, अनट्रेंड नर्सों के भरोसे अस्‍पताल

दैनिक जागरण की खबरों पर प्रशासन की टीमों ने आज जब ट्रामा सेंटरों की जांच शुरू की तो चौंकाने वाली बाते सामने आयीं। कहीं ओटी में रखे फ्रिज बीयर लगी मिली तो बीएससी पास युवक डाक्टर बनाकर मरीजों को देख रहे थे।

By Rafiya NazEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 09:36 AM (IST)
लखनऊ में ट्रामा के ड्रामे का दैनिक जागरण ने किया राजफाश: बीएससी पास डाक्टर कर रहे इलाज, अनट्रेंड नर्सों के भरोसे अस्‍पताल
लखनऊ में धड़ल्‍ले से चल रहे ट्रामा सेंटरों का दैनिक जागरण ने किया राजफाश।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। दैनिक जागरण की खबरों पर प्रशासन की टीमों ने आज जब ट्रामा सेंटरों की जांच शुरू की तो चौंकाने वाली बाते सामने आयीं। कहीं ओटी में रखे फ्रिज बीयर लगी मिली तो कहीं बीएससी पास युवक डाक्टर बनाकर मरीजों को देख रहे थे। अधिकांश अस्पतालों के पास लाइसेंस नहीं थे और जिन अस्पतालों ने लाइसेंस होने का दावा किया वह कागज प्रस्तुत नहीं कर सके। इलाज के नाम पर मरीजों से लूट करने वाले इन अस्पतालों की प्रशासनिक जांच रिपोर्ट

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टीम एक : हरदोई रोड

लक्ष्य अस्पताल में नहीं कोई डाक्टर, लाइसेंस भी खत्म: डिप्टी कलेक्टर प्रज्ञा पांडेय और डाक्टर दिलीप भार्गव ने हरदोई रोड पर चार अस्पतालों का निरीक्षण किया। लक्ष्य कैंसर हास्पिटल पहुंची टीम ने पाया कि अस्पताल का लाइसेंस 30 अप्रैल 2021 के बाद नवीनीकरण ही नही हुआ है। इस अस्पताल में 20 बेड की स्वीकृति थी जब कि इसके सापेक्ष जांच में 31 बेड पाए गए। अस्पताल की ओटी और वार्ड में साफ-सफाई संतोषजनक नहीं पाई गई। जांच दल ने अस्पताल के रिकार्ड भी खंगाले, जिसमें पाया गया कि मरीज जमीउर्रहमान जिनकी सात जुलाई को कीमोथेरेपी के लिए फाइल बनी थी, का न तो इलाज हुआ और न ही डिस्चार्ज का समय दर्ज था। इसी तरह रमेश चंद्रा नाम के मरीज की एक जून को भर्ती किए जाने की फाइल थी, लेकिन इनके डिस्चार्ज का कोई उल्लेख नहीं था। अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीज देखने के लिए डा. समीर बेग को ऑन कॉल बुलाया जाता है, जबकि अस्पताल के पंजीकरण दस्तावेजों में डा. समीर बेग का कोई जिक्र नहीं है।

काकोरी हास्पिटल :

यहां न तो डाक्टर मौजूद थे और न ही कोई चिकित्सीय सुविधाएं दिखी। इलाज के नाम पर केवल दो बेड ही पाये गये। अस्पताल में मौजूद स्टॉफ रजिस्ट्रेशन से संबंधित कोई दस्तावेज नही दिखा पाया।

हिंद अस्पताल: कहने को तो हिंद में ट्रामा का बोर्ड लगा है, लेकिन प्रशासनिक टीम को यहां पर भी कोई डाक्टर नहीं मिला। अस्पताल में कुल 12 बेड थे, जिनमें से चार बेड कारिडोर में पड़े थे। अस्पताल के डिस्प्ले बोर्ड पर आर्थोपीडिक सर्जरी आदि सुविधाओं का जिक्र था, लेकिन इससे संबंधित डाक्टर और सुविधाएं मौजूद नहीं थीं। टीम के पूछने पर स्टाफ ने मुहम्मद आरिफ (आयुष डाक्टर) से सम्पर्क किया, लेकिन इनके द्वारा कोई पंजीकरण दस्तावेज नहीं दिखाया जा सका।

साधना अस्पताल: इस हास्पिटल के पास भी लाइसेंस नहीं था। पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है, जिसकी स्वीकृति अभी प्राप्त नहीं हुई है। लाइसेंस के बावजूद अस्पताल प्रबंधन द्वारा गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। यहां पर भी कोई डाक्टर नहीं मिला।

टीम दो : मडिय़ांव से आइआइएम रोड

चंद्रा अस्पताल में तमाम खामियां: डिप्टी कलेक्टर गोविंद मौर्य व डाक्टर आरबी सिंह के नेतृत्व में टीम ने चंद्रा हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। यहां स्टाफ द्वारा एंबुलेंस फिटनेस एवं बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सर्टिफिकेट नहीं प्रस्तुत किया जा सका। उक्त अस्पताल का ब्लड बैंक से भी कोई समन्वय नहीं था। अस्पताल परिसर में स्थित मेडिकल स्टोर का लाइसेंस नवीनीकरण नही था। अस्पताल में कोविड हेल्प डेस्क, डाक्टर चेंज रूम और पोस्ट ऑपरेशन रूम भी नही थे।

हिम सिटी : हास्पिटल में प्रशासनिक टीम को आपातकालीन चिकित्सीय सुविधाएं नही मिलीं। यहां ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर (बीयूएमएस) थे, जबकि सर्जन, आर्थोपीडिक सर्जन, एनेस्थीसिया के डाक्टर मौजूद नहीं थे। अस्पताल के पास फायर एनओसी और बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट का सर्टिफिकेट नहीं था। इसके अलावा कोविड हेल्प डेस्क, इमरजेंसी यूनिट, प्री एवं पोस्ट ऑपरेशन रूम भी नही था।

टीम तीन : दुबग्गा से हरदोई रोड

नर्सों के पास डिग्री तक नहीं

अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय किंशुक श्रीवास्तव व डाक्टर मिलिंद की टीम मार्डन हास्पिटल मैटरनिटी एंड ट्रामा सेंटर पहुंची तो वहां कोई डाक्टर मौजूद नहीं था। अस्पताल में आइसीयू बेड की संख्या तीन थी, लेकिन एक्स-रे व आपातकालीन चिकित्सा से संबंधित सुविधाएं नहीं थी। अस्पताल में मौजूद स्टाफ नर्स के पास नॢसंग की डिग्री तक नहीं थी। रजिस्ट्रेशन सर्र्टिफिकेट के बार में पूछने पर बताया गया कि नवीनीकरण हेतु आवेदन किया गया है।

न्यू एशियन हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर: यहां पर भी कोई डाक्टर उपस्थित नहीं था। अस्पताल के मालिक प्रेम कुमार वर्मा मरीजों का इलाज करते हुए मिले, जबकि उनके पास बीएससी की डिग्री है। यहां दूसरे डाक्टर एनके शुक्ला द्वारा खुद को बीएएमएस बताया गया, लेकिन वह डिग्री नहीं दिखा सकें और न ही संबंधित यूनिवॢसटी और इंस्टीट्यूट का नाम बता सकें। अस्पताल में फार्मेसी थी, लेकिन उसका लाइसेंस नहीं था और न ही फार्मासिस्ट मौजूद था। एएनएम का कोर्स कर रहे छात्र अस्पताल में नॢसंग की ड्यूटी करते हुए मिले।

मेरिटस हास्पिटल : यहां पर एएनएम और जीएनएम का कोर्स कर रहे छात्र छात्राएं नॢसंग और ओटी टेक्नीशियन की ड्यूटी करते पाये गए। इस अस्पताल के लाइसेंस की वैधता भी समाप्त हो गई थी।

तुलसी अस्पताल की ओटी में मिली बीयर: तुलसी एंड ट्रामा सेंटर के निरीक्षण में गंभीर खामियां देखने को मिलीं। यहां आइसीयू के चार बेड थे, लेकिन ईएमओ अथवा अन्य चिकित्सक उपस्थित नहीं मिले। अस्पताल के ओटी में रखी फ्रिज में बीयर की कैन मिली। अस्पताल स्टाफ द्वारा बिल पंजिका प्रस्तुत नहीं की जा सकी और इसके लाइसेंस की वैधता भी समाप्त पायी गई।

मेडिप्लस एंड ट्रामा सेंटर: मेडिप्लस अस्पताल के लाइसेंस सर्टिफिकेट की वैधता भी समाप्त हो चुकी थी। यहां ईएमओ के अलावा अन्य कोई डाक्टर नहीं मिला। स्टाफ द्वारा फार्मेसी का लाइसेंस भी नहीं दिखाया जा सका।

टीम चार : बीकेटी से सीतापुर रोड तीन अस्पतालों के पास नहीं मिले लाइसेंस

एसडीएम बीकेटी पल्लवी मिश्रा एवं डा.जेपी सिंह की टीम ने छह अस्पतालों पारस हास्पिटल एवं ट्रामा सेटर, बीकेटी हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर, चंद्रिका देवी हास्पिटल एवं ट्रामा सेंटर, सिंह हास्पिटल एवं ट्रामा सेंटर,, होलीकेयर हास्पिटल एवं ट्रामा सेंटर, एपेक्स हास्पिटल एवं ट्रामा सेंटर का निरीक्षण किया। होली केयर हास्पिटल एवं ट्रामा सेंटर में कोई डाक्टर उपस्थित नहीं मिला। यहां आक्सीजन की उपलब्धता के संबंध में स्टाफ द्वारा जानकारी नहीं दी जा सकी। एपेक्स और बीकेटी हास्पिटल की सीएमओ द्वारा निर्गत रजिस्ट्रेशन की वैधता समाप्त पाई गई। चंद्रिका देवी अस्पताल को छोड़कर अन्य सभी अस्पतालों में कोविड हेल्प डेस्क संचालित नहीं थी।

टीम पांच : हरदोई रोड से आइआइएम रोड

सैफालिया आई केयर एंड हास्पिटल में नहीं मिला डाक्टर: अपर नगर मजिस्ट्रेट सूर्यकांत त्रिपाठी एवं डा केडी मिश्रा के नेतृत्व में टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया। यहां पर कोई चिकित्सक नही मिला। उक्त अस्पताल के पंजीकरण की वैधता समाप्त हो चुकी थी।

सम्राट हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर

यहां पर भी कोई डाक्टर नहीं मिला। अस्पताल के प्रबंधक अजीत रावत द्वारा कोई भी पंजीकरण दस्तावेज नहीं दिखाया जा सका।

रमेश जन सेवार्थ हॉस्पिटल

यहां पर बुद्धवती नाम की एक ही मरीज भर्ती मिली, जिसके इलाज के लिए योग्य डाक्टर उपस्थित नहीं था। अस्पताल के पंजीकरण के संबंध में टीम को कोई संतोषजनक दस्तावेज नहीं दिखाए गए।

टीम छह : दुबग्गा से बुद्धेश्वर रोड

मेडविन अस्पताल पर लगाया ताला: अपर नगर मजिस्ट्रेट शैलेंद्र कुमार एवं डा. आरसी चौधरी के नेतृत्व में टीम ने सात अस्पतालों का निरीक्षण किया। मेडविन हास्पिटल में कई खामियां मिलीं। इस कारण इसे बंद करा दिया गया।


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