नारी की जिम्मेदारी नहीं, साहस की बात करनी चाहिए : ऊषा विश्वकर्मा
दैनिक जागरण के फेसबुक एक्टिविटी पेज पर समाज सेवी संस्था रेड ब्रिगेड की उषा विश्वकर्मा से बातचीत।
लखनऊ, जेएनएन। एक स्त्री को बचपन से ही बताया जाता है कि उसे कैसे रहना है, क्या करना है, क्या देखना है और उसके क्या दायित्व हैं। इतिहास में बहुत सी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें औरतों ने अपने साहस का परिचय दिया है और दम लगाकर लड़ाई लड़ी है। ये बातें रेड ब्रिगेड की ऊषा विश्वकर्मा ने कहीं। वो दैनिक जागरण लखनऊ के फेसबुक एक्टिविटी पेज पर लाइव थीं। इस दौरान उन्होंने लोगों से नारीत्व 'शक्ति की अभिव्यक्ति विषय पर चर्चा की।
सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से हैं आगे
नारी पहले भी ताकतवर थी, अब भी है और आगे भी रहेगी। हमें हमेशा उसके साहस की बात करनी चाहिए। आज महिलाएं आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से आगे हैं। आज महिलाएं अच्छे- अच्छे पद पर बैठी हैं, जो उनकी इच्छा, मेहनत और लगन से संभव हो पाया है।
शारीरिक और मानसिक शिक्षा की जरूरत
आज हम शिक्षा की तरफ तो बढ़ रहे हैं मगर आत्मशक्ति कम दिखाई देती है। किताबी ज्ञान के साथ हमें शारीरिक और मानसिक शिक्षा की भी जरूरत है। प्रकृति ने हमसे कोई भेदभाव नहीं किया है लेकिन मानव समाज ने गैर बराबरी बनाई हुई है। महिलाओं ने हमेशा सूझ बूझ और जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाई है।
निर्भीक होकर बात कहनी चाहिए
एक लड़की जब पैदा होती है तो उसे ये नहीं पता होता कि उसकी ताकत कम या ज्यादा है। समाज उसका दायरा तय करता है। एक नारी तब ही ताकतवर हो सकती है जब उसे अपने इतिहास के बारे में जानकारी हो। उसे निर्भीक होकर अपनी बात कहनी चाहिए। यही तरीका है, जिससे वो खुद को और समाज को जान सकेगी। जहां नारियों का आदर होता है वहां खुशियां और समृद्धि आती है।