यूपी चुनाव 2022: सलाखों के भीतर से दबंग भी कर रहे चुनाव लड़ने की तैयारी, जानिए कब से शुरू हुआ था यह सिलसिला
UP Vidhan Sabha Election 2022 कभी अपराध की नर्सरी रहे पूर्वांचल ने जेल से चुनाव लड़ने की राह दिखाई थी। इसकी शुरुआत पूर्वांचल के प्रभावशाली नेता हरिशंकर तिवारी ने की थी। 1985 में जेल की सलाखों के पीछे रहकर हरिशंकर तिवारी विधानसभा चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी।
लखनऊ [आलोक मिश्र]। अब्दुल्ला आजम के जेल से छूटकर रामपुर में सक्रिय होते ही इन चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया कि सीतापुर की जेल में बंद उनके पिता पूर्व मंत्री आजम खां जेल से ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि यह कोई पहला अवसर नहीं है जब कोई सलाखों के पीछे से चुनाव लड़ेगा। उत्तर प्रदेश की राजनीति में दशकों से दबंगों का दखल है। इस चुनाव में भी कई ऐसे चेहरे होंगे, जो जेल के पीछे रहकर न सिर्फ अपना दावा पेश करेंगे, बल्कि अपनों के लिए पूरी जोर आजमाइश भी करेंगे।
उत्तर प्रदेश में कभी अपराध की नर्सरी रहे पूर्वांचल ने ही राजनीति को यह राह भी दिखाई थी। इसकी शुरुआत पूर्वांचल के प्रभावशाली नेता हरिशंकर तिवारी ने की थी। 1985 में जेल की सलाखों के पीछे रहकर हरिशंकर तिवारी विधानसभा चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने राजनीति में एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कीं और मंत्री तक बने। इसी चुनाव में पूर्वांचल के ही एक अन्य बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही ने भी निर्दलीय चुनाव जीता था। जेल में रहकर बाहुबली दुर्गा यादव व राजबहादुर सिंह भी चुनाव जीतने में सफल हुए थे। माफिया मुख्तार अंसारी ने भी गाजीपुर जेल में रहकर 1996 का विधानसभा चुनाव लड़ा और मऊ से विधायक बनकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की।
लगभग 15 सालों से सलाखों के पीछे बंद मुख्तार अंसारी ने कई चुनाव लड़े। इनमें आगरा जेल में रहते हुए 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ना भी शामिल है। इसमें उसे हार का सामना करना पड़ा था। अपराधियों को शरण देने के आरोप में जेल गए कल्पनाथ राय ने भी 1996 के चुनाव में ताल ठोंकी थी। माफिया बृजेश सिंह जेल में निरुद्ध रहते हुए ही एमएलसी बने थे। पूर्व में बाहुबली डीपी यादव ने भी जेल में रहकर चुनाव लड़ा था। माफिया अतीक अहमद ने जेल में रहते हुए प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव में ताल ठोंकी थी और सलाखों के पीछे से ही फूलपुर उपचुनाव में किस्मत आजमाई थी।
लंबी है सूची : इस सूची में रायबरेली के बाहुबली नेता अखिलेश सिंह व सुलतानपुर के चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह समेत कई अन्य नाम भी शामिल हैं। कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी ने खुद जेल की सलाखों के पीछे रहते हुए पत्नी को चुनाव लड़ाकर अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी। 2018 में बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गई थी।
फिर जेल से ही जमीन की तलाश : इस बार जेल में रहकर विधानसभा चुनाव लड़ने वालों की बात की जाए तो सबसे पहला नाम मुख्तार अंसारी का ही है। मुख्तार का इस बार बांदा जेल में रहकर मऊ से फिर विधानसभा चुनाव में दावा ठोंकना तय माना जा रहा है। पूर्वांचल के बाहुबली विजय मिश्रा इन दिनों सेंट्रल जेल आगरा में हैैं और चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। गुजरात की साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद इस बार सलाखों के पीछे रहकर अपनी पत्नी के लिए राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम (आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) से प्रयागराज से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर 25 हजार रुपये का इनाम है और पुलिस उनकी तलाश कर रही है। चर्चा है कि धनंजय सिंह भी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। ऐसे में वह कहां से और किन परिस्थितियों में नामांकन करेंगे, यह देखना भी दिलचस्प होगा।
इनकी उम्मीदों ने तोड़ा दम : गुजरे पांच सालों ने कई नेताओं के लिए चुनाव लड़ने की उम्मीदें खत्म कर दी हैं। बहुचर्चित माखी कांड में आरोपित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को कोर्ट सजा सुना चुकी है। ऐसे ही सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति भी सजायाफ्ता हो चुके हैं। इनके लिए अब खुद चुनाव मैदान में आना संभव नहीं।
View attached media content - भाजपा उत्तर प्रदेश (@BJP4UP) 18 Jan 2022