दिल्ली-मुंबई से लेकर नाइजीरिया और रोमानिया से हो रही है ठगी, जांच से बचती है साइबर पुलिस Lucknow News
लखनऊ में झारखंड कोलकाता दिल्ली और मुंबई से हो रही ठगी। नाइजीरिया व रोमानिया के ठग भी सक्रिय।
लखनऊ, जेएनएन। आपके साथ साइबर ठगी हुई हो और उससे खरीदारी की जगह दूसरे प्रदेश या जिलों में पैसा निकला हो तो उसकी वापसी की उम्मीद छोड़ दीजिए। झारखंड, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई के साथ विदेश (नाइजीरिया व रोमानिया) से अपने धंधे संचालित कर रहे है। इन साइबर अपराधियों की धरपकड़ के लिए विवेचना करने वाले इंस्पेक्टर को लॉ-एंड-आर्डर के नाम पर छुïट्टी नहीं मिलती। बड़ी लीड मिलने पर दबिश के लिए खर्चे व वाहनों के जुगाड़ में खर्चे का सबसे बड़ा हिस्सा पीडि़त, दूसरा विवेचक और तीसरा साइबर क्राइम ब्रांच को अदा करना पड़ता है। पुलिस इस 'चंदे की दबिश में सफलता न मिलने पर उगाही के आरोप से घिरने के चलते बचती है। वहीं यह साइबर ठगों के लिए रामबाण साबित हो रही है।
केस वन : मार्च में रोमानिया के एक ग्रुप को साइबर क्राइम की टीम ने पकड़ा। उनकी धरपकड़ के लिए टीम को दबिश में आने वाले खर्चे के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस ग्रुप के दो सदस्य फरार हैं।
केस दो : अप्रैल 2017 में कपूरथला में प्रधानमंत्री आवास के नाम पर करीब 450 लोगों के एटीएम कार्ड क्लोन कर ठगी हुई। उनकी धर पकड़ में विवेचक से लेकर साइबर टीम को मिलाकर पैसा जुटाना पड़ा।
केस तीन : फरवरी में गोमतीनगर के बड़ी ठगी के मामले में साइबर क्राइम के प्रभारी को पहले दबिश की अनुमति नहीं मिली, बाद में दस दिन की छुïट्टी पर चले गए। जब दबिश का वक्त आया तब तक ठगों ने नंबर बंद कर दिया।
साइबर क्राइम ब्रांच और थानों में दर्ज हैं करीब 2011 शिकायतें
शहर में जनवरी से अब तक 1471 साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतें साइबर क्राइम ब्रांच में आ चुकी हैं। वहीं थानों पर दर्ज करीब 540 मामलों की विवेचना इंस्पेक्टर कर रहे हैं। 2016 में करीब 986, 2017 में 1665 और 2018 में करीब 27 मामले थाने व साइबर सेल में दर्ज हुए।
खुलासे से ज्यादा एफआर लगाने की फिराक में विवेचक
साइबर से जुड़े मामले में फर्जी आइडी से ठगी के चलते विभिन्न जिलों व प्रदेशों तक जांच व दबिश का दायरा होने के चलते विवेचक मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगाने के चक्कर में रहते हैं। इसका ही नतीजा है अधिकतर मामलों में संदिग्ध पकड़े नहीं गए और मामले पेंडिंग हैं।
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